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श्रीमद्भागवत कथा में हुआ भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन

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पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा ने किया कथा श्रवण
गोपाल कांडा के हाथ में नन्हें गोपाल को देख झूम उठे श्रद्धालु
सिरसा,  महिला मंडल सर्राफा वाला मंदिर की ओर से हलोपा कैंप कार्यालय में श्रीमद्भागवत साप्ताहिक कथा का भव्य आयोजन किया गया। कथा में ऋषिकेश हरिद्वार से पहुंचे संत श्री गोविंद दास महाराज ने पांचवे दिवस की में भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन किया। हलोपा सुप्रीमों एवं पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा कथा में पहुंचे। उन्होंने कथा श्रवण किया। कृष्ण जन्म की विशेष झांकी भी इस अवसर पर दिखाई गई। कथावाचक ने नन्हें गोपाल को गोपाल कांडा के हाथ में सौंपा। गोपाल कांडा ने नन्हें गोपाल को हाथों में लेकर खिलाया। मौके पर उपस्थित श्रद्धालु पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के हाथ में नन्हें गोपाल को देख झूम उठे। कथा का शुभारंभ 16 नवंबर को हुआ था और समापन आज होगा। कथा प्रतिदिन 3 से सात बजे तक होती है। संत गोविंद दास ने कृष्ण जन्म पर प्रकाश डाला। इसके बाद बाल कृष्ण की लीलाओं का उल्लेख किया गया। उन्होंने कालिया मर्दन की लीला की भी सुनाई। इस कथा के माध्यम से लोगों को जल स्वच्छ रखने की सीख मिली। उन्होंने बताया कि प्रभु यमुना में कूदे तो उस समय वह मतवाले गज की तरह प्रतीत हो रहे थे। हाथी जब मदमस्त होता है, तो उस के सिर से रस प्रवाहित होता है। उससे वह विनाश करता है। परंतु प्रभु उस गजराज की तरह हैं, जो मद का प्रयोग विनाश नहीं अपितु शौर्य के लिये करते हैं। ये उनका शौर्य है जो कंस का वध कर मथुरा उग्रसेन को दी। भौमासुर के बाद उसके पुत्र भगदत को सिंहासन पर बिठाया। ठीक ऐसे ही आज हमारे सैनिक भाई सीमा की रक्षा कर रहे हैं। ये कार्य शौर्य से कम नहीं। गीता में कहा गया है जो देश के लिए शहीद होगा उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। देश की रक्षा का कार्य हिंसा नहीं अपितु शौर्य का कार्य है। गोवर्धन लीला के रहस्य को हमारे समक्ष बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया। नंद बाबा और गांव की ओर से इंद्र यज्ञ की तैयारियां चलते देख कर भगवान श्रीकृष्ण उनसे प्रश्न पूछते हैं। उनको गोवर्धन पर्वत तथा धरती का पूजन करने हेतु उत्साहित करते हैं। प्रभु का भाव यह था जो धरती वनस्पति जल के द्वारा हमारा पोषण कर रही है। उसकी वंदना और पूजा करनी चाहिए। धरती का प्रतीक मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई। छप्पन व्यंजनों का भोग भगवान को दिया गया। इंद्र के अभिमान को ठेस लगी, तो उसने सात दिन तक मूसलाधर बारिश के द्वारा गोकुल के लोगों को प्रताड़ित करने का प्रयास किया। परंतु भगवान ने अपनी कनिष्ठिका के ऊपर धारण कर सभी की रक्षा की। यदि आप भागवत महापुराण का अध्ययन करें, तो ज्ञात होगा कि प्रभु ने नंदबाबा सहित ग्राम निवासियों को कर्म के सिद्धांत का विवेचनात्मक विवेचन किया। कर्म ही मनुष्य के सुख, दुख, भय, क्षेम का कारण है। अपने कर्म अनुसार मानव जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त होता है। हम सभी नारायण के अंश हैं। कथा समापन अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं मे खिलानौ व प्रसाद का वितरण किया गया। कथा में पूर्व गृहराज्यमंत्री गोपाल कांडा के साथ तेज प्रकाश बंसल, सुनील सर्राफ,विनोद कनोड़िया, सुनील सर्राफ,लक्ष्मण गुर्जर, संजीव शर्मा, नितेश बांसल, रवि फुटेला सहित अनेक गणमान्य लोग पहुंचे। गोपाल कांडा ने अपनी ओर से भंडारे व श्री हरि गौशाला संस्था को 21 हजार रूपये की सहयोग राशि दी। आयोजकों ने कथा में पहुंचने पर पूर्व गृह राज्य मंत्री का आभार जताया।

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