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मनुष्य के दु:ख का प्रमुख कारण है अज्ञान: रघुबीर महाराज

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सिरसा। प्रभु रामलाल नर सेवा नारायण सेवा योग ट्रस्ट हुडा, सिरसा मकान नंबर-2266, सेक्टर-20, पार्ट 3 में योग गुरु रघुबीर महाराज ने मासांत सत्संग के पवित्र मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने सम्बोधन में फरमाया कि मनुष्य जीवन की चार सच्चाई है। एक दु:ख, दूसरा दु:ख का कारण अज्ञान, तीसरा निवृतिज्ञान व चौथा परमानन्द। इस नश्वर सकार में दु:ख है, जिसके बारे परम सन्त गुरुनानक देव जी ने सत्य फरमाया है कि बाली रोवे नाहे भनार, नानक दुखिया सब संसार। इस विषय में फरीद साहब ने सत्य कहा है मैं जानिया दु:ख मुझ को दु:ख सवाया जग, उपर चढ़ के वेखिया, घर-घर ऐहो मृग। चाहे आप सिरसा रहें, दिल्ली रहें, आन्ध्रा रहेएं, दु:ख सर्वव्यापक है। इस दु:ख का कारण है अज्ञान। जब तक मनुष्य के जीवन में अज्ञान है, तब त‌क दु:ख बना रहेगा। यह अज्ञान अंधकार ईश्वर को ढक लेता है। इस दु:ख का निवारण केवल ज्ञान होने पर, केवल ब्रह्म ज्ञान होने पर ही हो सकता है, उसके बिना नहीं। ब्रह्मज्ञान पूर्ण गुरु की कृपा से होता है। पूर्ण गुरु की कृपा बिना ब्रह्मज्ञान नहीं हो सकता। रघुबीर महाराज ने आगे फरमाया कि इस सत्य को सिख, धर्म, योग मन, सनातन धर्म मानते हैं। दास ने भी ऐसा जगत गुरुस्वामी देवी द‌याल महाराज की कृपा से अनुभव किया। आत्मज्ञान होने पर ही परमानन्द, परम शान्ति की प्राप्ति है। जिसको प्राप्त करने के लिये राजा लोग अपना राजपाठ भी त्याग देते हैं, परंतु सिख धर्म, योग मत, प्रभु रामलाल का योग घर त्यागने के हक में नहीं है। गुरु कृपा से मनुष्य घर में रह कर ही आत्म ज्ञान व परमानंद को प्राप्त कर सकता है। इस पवित्र मौके पर शक्तिसागर, पृथ्वी सिंह बैनीवाल, यश चावला योगाचार्य, हरि सिंह, लक्ष्य, भारत भूषण, विपिन, विजय, सतीश, रोहताश, अंकिता, हर सिमरन, संगीता, ऊषा, फूलरानी, सुमन, अन्जू, रजनी आदि भक्तजन मौजूद थे।

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