Home » देश » सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए देख रही है किसान की बर्बादी का मंजर

सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए देख रही है किसान की बर्बादी का मंजर

Facebook
Twitter
WhatsApp
7 Views

उठान का प्रबंध न होने से प्रदेश की मंडियों और मंडियों के बाहर सड़कों पर खुले में पड़ा है अधिकतर गेहूं : कुमारी सैलजा

अनाज मंडियों में फैली अव्यवस्था खोल रही है सरकार के दावों की पोल

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि गेहूं खरीद को लेकर सरकार द्वारा किए गए सारे के सारे प्रबंध धरे के धरे रह गए, खुले आसमान के नीचे पड़ा गेहूं सरकार के दावों की पोल खोल रहा है, न तिरपाल का कोई प्रबंध है और न ही उठान की ओर कोई ध्यान दिया जा रहा है। एक अप्रैल से शुरू हुई गेहूं की खरीद में अभी तक प्रदेश की मंडियों में गेहूं की आधी ही आवक हुई है उसमें भी मंडिया हांफने लगी है। सच तो यह है कि भाजपा सरकार दिखावे के लिए ही किसानों की बात करती है वर्ना को सरकार हाथ पर हाथ रखकर किसान की बर्बादी देख रही है।

 

मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक अप्रैल से मंडियों में गेहूं की खरीद शुरू की। 417 मंडियों में 38.93 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं पहुंच गया जिसमें से केवल 8.59 एलएमटी (22 फीसदी) टन की ही उठान हो पाई है। हालांकि 31.52 एलएमटी गेहूं खरीदा तो जा चुका है पर उसे बोरियों में भरकर गोदामों में भेजने की प्रक्रिया धीमी है। एक ओर सरकार दावे कर रहर थी कि मंडियों और खरीद केंद्रों में इस बार समुचित प्रबंध किए गए है पर मंडियां इस बात की गवाही दे रही है कि खरीद और उठान की व्यवस्था सही न होने पर मंडी के अंदर और मंडी के बाहर सड़कों पर गेहूं की ढेरियां लगी हुई है। मंडियों में अभी तय लक्ष्य 75 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले में आधा गेहूं ही पहुंचा है। उठान समय पर न होने के कारण कई मंडियों में शेड और खाली जमीन पर फसल रखने की जगह तक नहीं बची और आवक लगातार जारी है। प्रदेश की अधिकतर मंडियों के बाहर सड़कों पर ढेरियां लगाने को किसान मजबूर हैं।

 

सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि मंडी सचिवों को निर्देश दे दिया जाता है कि मौसम को देखते हुए तिरपाल व पॉलीथिन की व्यवस्था खरीद एजेंसियों के पास होनी चाहिए। पर आज तक कोई भी खरीद एजेंसी ऐसी व्यवस्था नहीं करती। सरकार के सारे काम घोषणाओं और दिशा निर्देश तक ही सीमित होते हैं। कुमारी सैलजा ने कहा कि खरीद एजेंसियों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। एक अप्रैल से खरीद शुरू होने के बावजूद उठान के लिए मंडी लेबर कांट्रेक्टर (एमएलसी) और मंडी ट्रांसपोर्ट कांट्रेक्टर (एमटीसी) की व्यवस्था नहीं हुई थी। बहाना बनाया गया कि एमएलसी और एमटीसी की दरें ज्यादा थी। इस वजह से भंडारण होता गया। कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में खरीदी गई गेहूं में से 31 प्रतिशत का ही उठान हो पाया है। रोहतक और सोनीपत में तो अधिकतर गेहूं मंडियों में खुले में पड़ा हुआ है। यमुनानगर में पिछले दिनों खुले में पड़ा गेहूं बरसात में भीगा। सिरसा में आज भी 80 प्रतिशत गेहूं खुले में पड़ा है। सरकार ने खरीद के साथ साथ उठान का प्रबंध भी पहले से किया होता तो गेहूं की अधिकतर फसल खुले में न पड़ी होती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

टॉप स्टोरी

पंचांग

Gold & Silver Price

Popular Metal Prices