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भागवत कथा ब्रह्ममों द्वारा घर, मन्दिर व आश्रम में करवाना शुभ माना जाता है- बजरंग गर्ग

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हिसार- अग्रोहा धाम में श्री मद् भागवत कथा का भव्य आयोजन अग्रोहा धाम वैश्य समाज के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग के नेतृत्व हो रही है। कथा में भारी संख्या में धर्म प्रेमियों ने भाग लिया। अग्रोहा धाम के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कथा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भागवत कथा का मूल पाठ श्रीमद् भागवत महापुराण के शुद्ध, संस्कृत श्लोकों का विधिपूर्वक पाठ है। भागवत कथा ब्राह्मणों द्वारा घर, मन्दिर व आश्रम में करवाना शुभ माना जाता है। भागवत कथा करवाने के लिए एक विशेष संकल्प लिया जाता है। जिसे पुरा करने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाती है। भागवत गीता की 18 ज्ञान की बातें जीवन के पहलुओं को छूती है। जैसे कई कर्म का महत्व, आत्मा की अमरता, क्रोध और मोह से बचना और आनन्द व शान्ति का प्राप्ति परिवर्तन संसार का नियम है। जो हुआ सो अच्छे के लिए हुआ और कर्म के फलों से नही बल्कि कर्म करने में अपना अधिकार समझों। त्रिलोक महाराज ने बताया कि कथा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। वासुदेव टोकरी में लेकर गऐ सारे ताले खुलने लगे, सैनिक सोने लगे जब योग माया को साथ में लिया वापिस ताले लग गए और सैनिक जग गए। इसका मतलब जीव जब परमात्मा का सहारा लेता है बंधन मुक्त हो जाता है और माया का सहारा लेता है बंधन में बन जाता है तथा लाला के खुशी में नंद बाबा ने ब्राह्मणों को सोना चांदी द्रव्य पर्वत बनाकर दान दिया। महाराज जी ने बधाई गाई और छप्पन भोग का प्रसाद लगाया। बजरंग गर्ग ने आए हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर कथा का संयोजक सुभाष चंद्र गर्ग, पवन बंसल, बजरंग असरावां, आशीष बंसल, अनंत अग्रवाल, निरंजन गोयल, आत्माराम सरपंच, ईश्वर गोयल, रवि सिंगला, अमन गर्ग, संदीप कुमार, श्याम सुंदर बंसल फतेहाबाद, राजीव गुप्ता कैथल, पवन बुवानीवाला भिवानी, मुरारी लाल गर्ग सिवानी, महावीर कंप्यूटर जींद आदि प्रमुख समाजसेवी ने भाग लिया।

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