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  डेरा जगमालवाली की संगत गुमराह ना हो  

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JANTA REPOTER DESK : पूज्य मैनेजर साहिब जी ने वसीयत में साफ लिखा है कि

“मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली तथा ट्रस्ट के अधीन अन्य डेरों में कई साधु रहते हैं जो सेवा व भजन सिमरन करते रहते हैं। परन्तु उनमे से केवल एक ही साधु का नाम वर्णन योग्य है, वह सेवा व भजन सिमरन में सबसे आगे है, वह है महात्मा बहादुर चन्द सुपुत्र श्री मनी राम, गांव चौटाला, तहसील डबवाली, जिला सिरसा (हरियाणा) जोकि अब मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम, जगमालवाली में रहता है आम तौर पर उसे वकील कह कर पुकारा जाता है। क्योंकि वह आश्रम आने से पहले मण्डी डबवाली में वकालत किया करता था। वह मेरा चिताया हुआ है और शादीशुदा व बाल बच्चों वाला है। वास्तव में वह “त्यागी” है क्योंकि उसने अपना सारा परिवार, माता-पिता, भाई बहन व रिश्तेदारों को त्याग रखा है। मेरा यह फैसला है कि केवल महात्मा बहादुर चन्द सपुत्र श्री मनी राम मेरा एकमात्र उतराधिकारी व गद्दीनशीन होगा, वह परमार्थी सम्पति चल व अचल, नकदी, बैंकों में मेरे और ट्रस्ट के नाम जमा धन का पूरा मालिक होगा व मेरी तरह अपने जीवनकाल तक ट्रस्ट का चैयरमेन और सोसायटी का प्रेजीडेन्ट होगा। उसे अपना गद्दीनशीन करने का पूरा अधिकार होगा। मैं यह भी वसीयत करता हूँ कि मेरे पश्चात महात्मा बहादुर चन्द अन्दर वाले जिंदा राम (शब्द गुरू) का सतगुरू की दया मेहर से प्रचार करेगा और अधिकारी जीवों को नाम-दान देगा। इसलिए वसीयतनामा लिख दिया है ताकि सनद रहे और बावक्त जरूरत काम आवे।”

पूज्य मैनेजर साहिब जी ने 05.01.1997 को भी सत्संग में फरमाया कि फकीरों के बाद झगड़े पड़ जाते हैं। फकीरों का पता नहीं कब आए और गए। पहले इतलाह देते हैं कि हमारे बाद “वकील साहिब” काम करेगें, याद रखो। डेरा जगमालवाली की नींव पूज्य परम सन्त गुरुबख्श सिंह मैनेजर साहिब जी ने 18 फरवरी 1966 को अपने हाथों से रख पूज्य परम सन्त गुरुबख्श सिंह मैनेजर साहिब जी को नामद। की बख्शीश सच्चे पातशाह सावन सिंह जी महाराज (डेरा ब्यास) से हुई थी। नौकरी के दौरान जब बाबा जी का ट्रांसफर सिरसा हुआ तो पूज्य बाबा जी सिरसा में पूज्य मस्ताना जी की सोहबत में सेवा व सिमरन करते रहे व कुछ समय बाद नौकरी से इस्तीफा देकर व घर बार छोड़ कर पूज्य मस्ताना जी के पास सिरसा डेरे में रहने लग गए। पूज्य मस्ताना जी ने चोला छोड़ने से पहले डेरे का सारा काम पूज्य बाबा जी को सौंप दिया था व सभी साधुओं को हुक्म दिया कि आगे से डेरे का काम मैनेजर देखेगा। सभी ने उनके हुक्म में काम करना है, लेकिन मस्ताना जी के चोला छोड़ने के बाद डेरे के हालात बदल गए। अतः मजबूर होकर पूज्य बाबा जी को सिरसा डेरा छोड़ना पड़ा। पूज्य परम संत बहादुर चन्द वकील साहिब जी को पूज्य बाबा मैनेजर साहिब जी से नामदान की बख्शीश हुई थी व कुछ समय बाद ही पूज्य वकील साहिब डेरा जगमालवाली में स्थायी तौर पर रहने लग गये थे व सेवा और सिमरन पूज्य मैनेजर साहिब जी की रहनुमाई में करने लग गये थे। पूज्य परम सन्त गुरुबख्श सिंह मैनेजर साहिब जी 30 जुलाई 1998 को ज्योति जोत समा गए। 1998 से 2024 तक पूज्य वकील साहिब जी ने रात दिन घूम घूम कर कड़ी मेहनत से संगत को सेवा व सिमरन करने के लिए प्रेरित किया व संगत के साथ बैठकर 18-18 घन्टे नाम का अभ्यास करवाया।

पूज्य मैनेजर साहिब जी ने 1995 में सत्संग में पूज्य वकील साहिब जी के नाम की घोषणा कर दी थी। 1996 में पूज्य मैनेजर साहिब जी ने रजिस्टर्ड वसीयत के माध्यम से पूज्य वकील साहब जी को अपना उतराधिकारी नियुक्त कर दिया था। उस समय भी कई डेरे के साधु पूज्य वकील साहब जी को पसंद नहीं करते थे व अंदर ईर्ष्या रखते थे व कई तरह के झूठे आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते थे।

पूज्य वकील साहिब जी ने जब गुरु गद्दी धारण की तो काफी समय तक डेरे के कुछ आगू व ट्रस्टी भी पूज्य बाबा जी के काम में रूकावट डालते रहे व डेरे का माहौल खराब करते रहे। उस समय भी कुछ साधु व कुछ ट्रस्टी डेरा छोड़ कर चले गए थे, उनमें से चन्द सिंह गोरीवाला भी एक था जिसने बाबा जी को व उनके हुक्म को मानने से मना कर दिया था।

पूज्य वकील साहिब जी ने गुरु गद्दी पर बैठने के बाद 2002 में महात्मा बीरेन्द्र जी को डेरे के ट्रस्ट का मैंबर नियुक्त कर दिया था व डेरे का काम सौंप दिया था। पूज्य वकील साहिब जी खुद सत्संग किया करते थे व संगत से सिमरन करवाया करते थे। डेरे का पूरा प्रबन्ध देखने की जिम्मेदारी महात्मा बीरेन्द्र जी को सौंपी हुई थी। ये लोग महात्मा बीरेन्द्र जी से भी ईर्ष्या रखते थे व समय-समय पर उनकी छवि को खराब करने के लिए तरह-तरह की अफवाहें फैलाते रहते थे। पूज्य बाबा जी के जीते जी इनकी कोई चाल कामयाब ना हुई क्योंकि बाबा जी जानी जान थे व इनकी सारी साजिशों से वाकिफ थे। साजिशकर्ताओं ने बीरेन्द्र महात्मा जी पर तरह-तरह के आरोप लगाकर बदनाम करने की कोशिश की, पंरतु पूज्य बाबा जी को महात्मा बीरेन्द्र जी पर पूरा विश्वास था। पूज्य बाबा जी ने वसीयत में भी साफ लिखा है कि “बीरेन्द्र मेरा पूरा वफादार है।” अगर महात्मा बीरेन्द्र जी में कोई कमी होती तो बाबा जी अपने साथ ही क्यों रखते ?

जैसे ही दिसंबर 2022 में पूज्य वकील साहिब जी की तबीयत खराब हुई व अपोलो अस्पताल में पूज्य बाबा जी एडमिट हुए। उस समय भी साजिशकर्ताओं ने अफवाहें फैलानी शुरू कर दी थी कि बाबा जी तो चोला छोड़ गए व डेरा मैनेजमेंट वसीयत के कागज तैयार करवा रहा है। किसी ने कहा कि बाबा हाईजैक कर रखा है। इन सभी बातों का जबाव बाबा वीडियो में अपने मुखारबिंद से भी दिया हुआ है।     ………………………………………….शेष भाग आगे

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