चंडीगढ़ : यौन शोषण के मामले में ट्रायल कोर्ट से सुनाई गई सजा को बरकरार रखते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पीडित बच्चे की गवाही को नजरअंदाज नहीं कर सकते। जस्टिस अमरजोत सिंह भाटी पीडित ने कोर्ट को वैसा ही बयां किया जैसा उसने अपनी मां को बताया था। हाईकोर्ट ने हरियाणा के एक सरकारी स्कूल के हिंदी के शिक्षक को सुनाई गई 5 साल कठोर कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया। ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट को बताया गया था कि इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। इस दलील पर जस्टिस ने कहा कि इस तरह के अपराध खुलेआम नहीं होते हैं। दूसरी दलील दी गई कि एफ.आई.आर. घटनाक्रम के 2 दिन बाद दर्ज करवाई गई थी। इसे भी नकारते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध बच्चे के साथ होता है तो उसे अपने घर बताने में समय लगता है और उसके बाद अभिभावक को स्कूल में बच्चे के साथ यौन अपराध करने के लिए शिक्षक को सुनाई 5 साल कारावास की सजा रखी बरकरार स्थिति संभालने का वक्त चाहिए। समाज से आने वाली प्रतिक्रियाओं का सामना करते हुए पुलिस तक पहुंचना होता है। हाईकोर्ट ने नोट किया कि 8वीं कक्षा के बच्चे के साथ स्कूल परिसर में ही अपराध हुआ। सबसे पहले उसने स्कूल प्रिंसीपल को बताया था, लेकिन उसे चुप रहने को कहा गया। हाईकोर्ट ने यह भी नोट किया कि ऐसे ही एक अन्य मामले में दोषी शिक्षक को पहले निलंबित भी किया गया था।