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विधानसभा का शीतकालीन सत्र 13 से,पांच अध्यादेश पास कराएगी सरकार

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विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा सरकार ने पांच अध्यादेश जारी किए थे। इन अध्यादेशों को इस सत्र में पास कराना जरूरी है। इनमें सबसे प्रमुख संविदा के आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करना है।

Winter session of Haryana Vidhan Sabha from 13th, government will pass five ordinances

15वीं विधानसभा का शीतकालीन सत्र 13 नवंबर से शुरू होगा। सत्र की शुरुआत राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के अभिभाषण से होगी। यह सत्र दो से तीन दिन का हो सकता है। यदि सत्र दो दिन का हुआ तो 14 नवंबर को समाप्त हो जाएगा और यदि तीन दिन का हुआ तो 13 व 14 नवंबर को दो बैठकों के बाद तीसरी बैठक 18 नवंबर को होगी। दरअसल 15 नवंबर को गुरुनानक जयंती और 16 व 17 को शनिवार-रविवार के कारण अवकाश रहेगा। हालांकि सत्र की अवधि पर फैसला कार्य सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक में होगा। नई बीएसी का गठन अभी होना है। इसमें विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, सरकार के वरिष्ठ मंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं। कांग्रेस की ओर से अभी नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं किया गया है। उधर, सरकार शीतकालीन सत्र में पांच अध्यादेश पास करवा सकती है।

विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने बताया कि सत्र की आगामी बैठक 13 नवंबर को सुबह 11 बजे शुरू होगी। बैठकों के लिए सभी तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने सभी विधायकों से अपील की कि वे पूरी तैयारी के साथ सत्र में भाग लें। बीती 25 अक्तूबर को सभी विधायकों के शपथ लेने और विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चयन के बाद विधानसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी।

ये अध्यादेश पास कराए जाएंगे

चुनाव से पहले हरियाणा सरकार ने पांच अध्यादेश जारी किए थे। इन अध्यादेशों को इस सत्र में पास कराना जरूरी है। इनमें सबसे प्रमुख संविदा के आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करना है। इससे विभिन्न विभागों पर तैनात डेढ़ लाख से ज्यादा कर्मचारियों को 58 साल तक नौकरी की गारंटी मिलेगी। नगर निकायों (नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों) और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी के लोगों को आरक्षण प्रदान करने के तीन अध्यादेश हैं। पांचवां अध्यादेश हरियाणा ग्राम साझी भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961 में संशोधन है। इसके तहत शामलात जमीन पर 20 साल से कब्जाधारी लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा।

बीएसी में नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी नहीं

हरियाणा विधानसभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव रामनारायण यादव ने बताया कि प्रदेश में कई बार बगैर बीएसी के भी बैठक हो चुकी हैं। बीएसी की बैठक में नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी नहीं है। नियमों के मुताबिक बीएसी में विपक्षी पार्टी का नुमाइंदा होना चाहिए। यदि नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं होता है तो विपक्षी दल के किसी विधायत को बीएसी का सदस्य बनाया जा सकता है।

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