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यौन उत्पीड़न अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा निर्देश

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सभी सरकारी विभागों में आंतरिक शिकायत समिति का गठन करें
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने में निर्धारित स्थानीय समितियों का गठन करना आवश्यक कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, है। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने इन समितियों और अधिकारियों निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 का देशव्यापी अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सभी सरकारी विभागों और उपक्रमों में आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि जिला अधिकारियों को शिकायत प्रबंधन की सुविधा और स्थानीय समितियों को सीधे प्रस्तुतियां देने के लिए प्रत्येक तालुका या क्षेत्र में नोडल अधिकारी भी संभल जाने पर रोक न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को अधिनियम के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए हर जिले में जिला अधिकारियों की नियुक्ति सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए हैं। धारा पांच के प्रावधानों के तहत इन अधिकारियों को आंतरिक शिकायत समितियों के बिना जिलों में कार्यस्थल उत्पीड़न की शिकायतों को दूर करने के लिए धारा छह नियुक्त करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि इन प्रावधानों को उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने की सख्त जरूरत है, जहां इन्हें अभी तक लागू नहीं किया गया है। शीर्ष न्यायालय ने पारदर्शिता और पहुंच की आवश्यकता पर जोर देते हुए निर्देश दिया कि नोडल अधिकारियों के नाम सार्वजनिक रूप से ‘शीबॉक्स’ पोर्टल पर उपलब्ध होने चाहिएं, जो यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने के लिए एक केंद्रीकृत ऑनलाइन प्लेटफार्म है।

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