हरियाणा सरकार के नियमों में बदलाव की अधिसूचना के खिलाफ दायर 28 याचिकाओं का किया निपटारा
चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जीवन जीने के अधिकार को व्यापार से अधिक महत्वपूर्ण बताया है। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने कहा कि अगर देश के भविष्य को स्वस्थ रखना है तो स्टोन क्रैशर स्कूल या किसी भी तरह के शिक्षण संस्थानों के आसपास संचालित नहीं हो सकते। खंडपीठ ने कहा कि पर्यावरण के साथ ही स्वास्थ्य को किसी के निजी व्यापार से अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। स्कूल और शिक्षण संस्थान के पास तो इस तरह की गतिविधि विलकुल भी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यहां पर देश का भविष्य तैयार हो रहा है। खंडपीठ करने चाहिए और नया स्कूल स्थापित में भी इसका पालन किया जाना चाहिए।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हरियाणा सरकार की ओर से 2016 में स्टोन क्रैशर चलाने के लिए बनाई गई नीति के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इसके बाद 2019 में नियमों में किए गए बदलाव के बाद भी कुछ याचिकाओं को दायर किया गया था। खंडपीठ ने सख्त निर्देश देने के साथ करीब 28 याचिकाओं को खारिज कर दिया। आदेश में कहा गया है कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा करना किसी भी राज्य का प्राथमिक दायित्व है।