सिरसा। शिक्षाविद् एवम् पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष प्रो. आरसी लिम्बा ने भाजपा नीत केंद्र सरकार के जाति गत जनगणना के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि देर आये दुरुस्त आये आखिर सरकार ने सही निर्णय लिया है। प्रो. लिम्बा ने बताया कि जातिगत जन गणना केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि ये हाशिये पर खड़े लोगों के हक और न्याय की लड़ाई है। ये उनको पहचान और अधिकार दिलाने की लड़ाई है। जातिगत आंकड़े समाज का आईना होता है। बिना जातीय आंकड़ों के देश के संसाधनों का उचित बंटवारा नहीं हो सकता। देश में अंतिम जातिगत जन गणना 1931 में हुई थी, उसके बाद होने वाली जनगणनाओं में ओ बी सी का कॉलम हटा दिया था, जिसके कारण पिछले 94 सालों तक ओबीसी की वास्तविक जनसंख्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं हुए और 1931 की जन गणना के आंकड़ों के आधार पर संसाधनों का कुवितरण होता रहा, इसलिए ही महासभा पिछले लंबे समय से इस मांग को उठाती आ रही है कि जातिगत जन गणना करवाई जाए और उसके आधार पर पिछड़ा वर्ग को विधायिका, कार्यपालिका व न्याय पालिका में आरक्षण मिले तभी न्याय संगत विकास हो पायेगा। प्रो. लिम्बा ने सरकार से सवाल किया कि वह इस जन गणना की समय सीमा और उसके पैटर्न को सार्वजनिक करे। कहीं ये केवल घोषणा मात्र न रह जाए।