सिरसा। गांव सुचान की कबीर बस्ती में पहली बार अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस बनाया गया, जिसमें शिकागो (अमेरिका) के मजदूर शहीदों को याद किया गया। इस कार्यक्रम में प्रिंसिपल मास्टर ज्ञानचंद, मनोज पचेरवाल, तिलक राज विनायक ने अपने वक्तव्य में कहा कि किस तरह शिकागो के मजदूरों ने अपनी शहीदियां देकर आपके काम के समय के घंटे को कम करवाया और पूरी दुनिया में मजदूरों की ताकत व संघर्ष का लोहा बनवाया। आप लोगों की ताकत आज इतनी है कि पूरा विश्व आज आपके लिए शौर्य दिवस बना रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के मजदूरों को भी अपने संघर्ष की राह नहीं छोडऩी चाहिए। आप लोगों को मनरेगा या राशन डिपो पर राशन या भवन निर्माण कारगारों को जो सुविधा या पैसा मिल रहा है वह आप जैसे ही मजदूरों ने सडक़ों पर लडक़र, झगडक़र, संघर्ष करके हासिल किया है, वह खैरात नहीं, आपका हक है और आपने यह हक सडक़ों पर संघर्ष करके प्राप्त किया है। मजदूरों का जीवन और बेहतर हो इसके लिए आपको संघर्षरत रहना होगा, वरना दुनिया की कोई भी सरकार आपको तब तक कुछ नहीं देगी जब तक आप सरकार की आंखों में आंखें डालकर अपना हक छीनने की ताकत नहीं रखते। देश की जितनी भी संपदा है भूमि, जंगल, पहाड़ बाकी जितनी भी सार्वजनिक संपदा है। उसमें आप लोगों की हिस्सेदारी है। देश में चाहे किसी भी सरकार हो उसका संवैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि देश के लोगों की स्वास्थ्य शिक्षा, रोजगार, की व्यवस्था करें, देश में शांतिप्रिय माहौल व सौहार्दय स्थापित करें अगर कोई भी सरकार ऐसा नहीं कर सकती तो देश की जनता की यह जिम्मेदारी बनती है। आप जनता के पास यह ताकत भी है कि ऐसी सरकारों को बदल दें। आपको अलग-अलग जाति और धर्म में नहीं बटना है। मजदूरों की बस एक ही जात, एक ही धर्म होता है कि वह मजदूर है। आज हम शिकागो के शहीदों को इसलिए याद कर रहे हैं कि उन्होंने अमेरिका में शहीदी दी और उसका फायदा दुनिया के तमाम मजदूरों को मिल रहा है। आज आप भी उनके संघर्ष की बदौलत 8 घंटे काम करके पूरी मजदूरी प्राप्त कर रहे हैं। इस मौके पर महिलाओं में निर्मला, कमलेश, संतरा, शर्मिला, कांता देवी, प्रणय किरण, दीपिका, सुनीता कृष्णा देवी, विमला, माया, मोहिनी, पूजा, शेर सिंह, जगदीश, सतपाल, दातार, ईश्वर, विनोद, सुनील पालाराम, रिंकू, सुरेश, मोनू, जितेंद्र, अशोक, राकेश, रूपलाल, रामवीर, करतार, मिथलेश, विनोद उपस्थित थे।