सिरसा। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में आयोजित 12वें युवा महोत्सव के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए करण प्रताप सिंह ने अपने संबोधन में वर्तमान समय में युवाओं और समाज के सामने खड़े अनेक गंभीर मुद्दों पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि आज के बदलते सामाजिक एवं सुरक्षा वातावरण में प्रत्येक नागरिक का जागरूक होना अत्यंत आवश्यक है। हाल ही में दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट की घटना का उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि समाज में फैल रही असामाजिक गतिविधियों और सुरक्षा-संबंधी जोखिमों से निपटने के लिए हमें अपने आस.पास के लोगों की पहचानए गतिविधियों और संभावित व्यवहारों को समझना चाहिए। उनके अनुसार सतर्कता और जागरूकता केवल सरकार या सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी से ही समाज को सुरक्षित बनाया जा सकता है। आगे अपने वक्तव्य में उन्होंने प्रदेश में बढ़ती अश्लीलताए भडक़ाऊ गीतों और उन गानों के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की जो युवाओं के मन-मस्तिष्क को गलत दिशा में ले जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसे गानों से समाज में विकृतियां फैलती हैं, आपराधिक प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता है और युवा पीढ़ी का मानसिक संतुलन प्रभावित होता है। इसीलिए उन्होंने यह घोषणा की कि प्रदेश में गंदे, अश्लील और सामाजिक मर्यादाओं को तोडऩे वाले गानों को बंद करवाने की दिशा में कठोर कदम उठाए जाएंगे, ताकि समाज में सांस्कृतिक मर्यादा और नैतिक मूल्यों की पुनस्र्थापना हो सके। अपने संबोधन के दौरान करण प्रताप सिंह ने युवाओं में तेजी से बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति को भी अत्यंत गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि नशा युवाओं की प्रतिभा, ऊर्जा और जीवन के सुनहरे अवसरों को नष्ट कर देता है। उन्होंने इस बात पर गहरा चिंतन व्यक्त किया कि नशे की गिरती लत न केवल एक युवा का भविष्य बर्बाद करती है, बल्कि परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास को भी बाधित करती है। नशे के खिलाफ समाज, शैक्षणिक संस्थानों और परिवारों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर देते हुए उन्होंने युवाओं से दृढ़ संकल्प लेकर इस बुराई से दूर रहने और दूसरों को भी इससे बचाने की अपील की। अंत में उन्होंने युवाओं को खेल और शारीरिक गतिविधियों से जुडऩे की प्रेरणा देते हुए कहा कि खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत करते हैं, बल्कि मानसिक अनुशासन, टीम भावना, नेतृत्व क्षमता और सकारात्मक सोच को भी बढ़ाते हैं। उनके अनुसार खेलों में भागीदारी से युवा नकारात्मक गतिविधियों और नशे से दूर रहते हैं और जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए अधिक ऊर्जावान तथा केंद्रित बनते हैं। उन्होंने यह संदेश भी दिया कि एक जागरूक, स्वस्थ, अनुशासित और संस्कारी युवा ही राष्ट्र निर्माण की मजबूत नींव तैयार कर सकता है। उपरोक्त विस्तृत संदर्भ के आधार पर मुख्य अतिथि द्वारा व्यक्त किए गए संदेश, उनके वक्तव्य के प्रमुख बिंदुओं, सामाजिक एवं नैतिक चिंताओं, युवा-सम्बंधी सुझावों और सुरक्षा-संबंधी जागरूकता पर एक विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत कीजिए। इस व्याख्या में यह भी स्पष्ट करें कि उनके द्वारा दिए गए सुझाव वर्तमान समाज और युवा पीढ़ी के लिए किस प्रकार प्रासंगिक एवं आवश्यक हैं।



