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भूल को अपराधन मानें, प्रेरणा लेना जरूरी है
भूल हो जाए तो निराश न हों, परेशान भले ही हो जाएं। एक पुरानी कहावत है कि सही पते पर पहुंचने के लिए कई बार गलत पतों से गुजरना होता है। अब इसे यूं समझें कि ठीक पते तक पहुंचने के लिए गलत से गुजरना है। इसलिए यदि जीवन में सही करना हो तो भूल की गुंजाइश बनी रहेगी। भूल को अपराध न मानें, निराशा का कारण न मानें। लगातार भूल करना मूर्खता हो सकती है पर अपराध नहीं। तो सफलता की यात्रा में हमें ये बात याद रखना होगी कि सफलता कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो खरीद ली जाए या जिसे हाथ में ले लिया जाए। ये एक क्रमिक परिश्रम है। सतत विकास है। इसलिए सफलता को अध्यात्म से जरूर जोड़ें। अध्यात्म का मतलब होता है स्वयं का अध्ययन, अपनी आत्मा पर टिक जाना। और अध्यात्म भी अचानक नहीं मिलता। इसमें कई बार भटकना पड़ता है। और जितना भटकाव आएगा उतनी परिपक्वता. आएगी। इसलिए ।