वाह रे पुलिस विभाग!
एफआईआर किस के खिलाफ की कोई जानकारी नहीं
सिरसा। पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली अक्सर किसी न किसी मामले को लेकर चर्चा में रही है, लेकिन ताजा मामले में शहर थाना पुलिस की कार्यप्रणाली ने कमाल ही कर दिया। पुलिस ने शिकायतकर्ता द्वारा दी गई शिकायत को ही एफआईआर में कॉपी पेस्ट कर दिया, जबकि एफआईआर में कहीं भी ये नहीं दर्शाया गया कि मामला किस के खिलाफ दर्ज किया गया है और किस विषय में किया गया है। शिकायतकर्ता राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा समिति मेंबर व नोहरिया बाजार निवासी गुरलाल सिंह ने बताया कि विद्युत निगम के अधिकारियों द्वारा 2020-21 में लाखों रुपए का सामान व भारत नगर स्थित परमार्थ कालोनी क्षेत्र में बिना एस्टीमेट के अवैध कॉलोनी में विद्युत पोल लगाकर केबल डालकर छोड़ दिए गए, जबकि वहां कोई मकान बना ही नहीं था। उसने बताया कि विद्युत निगम के अधिकारियों द्वारा शहर के अग्रसैन कॉलोनी में वर्ष 2022 में विद्युत पोल लगाकर एक्सएलपीई केबल लगाई जानी थी। अधिकारियों ने यहां पोल तो खड़े कर दिए, लेकिन जो केबल व अन्य सामान आया था, वो गायब कर दिया। काफी समय तक जब केबल नहीं डाली गई तो उन्होंने आरटीआई के तहत विभाग के अधिकारियों से जानकारी मांगी, लेकिन अधिकारी जानकारी देने की बजाय आनाकानी करते रहे। यह अधिकारियों से कार्यालय में मिला, जिस पर निगम के एसई व सिटी एसडीओ ने एक सप्ताह में। कार्रवाई का आश्वासन दिया। एक सप्ताह की बजाय 15 दिन बीत गए, लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। बार-बार अवगत करवाने के बाद भी जब कोई सूचना नहीं दी तो उसने अधिकारियों को जगाने के लिए नया तरीका अपनाया और ढोल लेकर कार्यालय में पहुंचा। इस घटना के बाद अधिकारी हरकत में आए और आनन-फानन में बजाय सामान संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगने के चोरी की एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही। गुरलाल सिंह ने बताया कि उसके शिकायत करने के बाद अधिकारियों ने चोरी बाबत एफआईआर की बात कही, जबकि घटना तो करीब एक साल पहले की है। अगर सामान चोरी हुआ था तो पहले एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करवाई? मजे की बात तो ये है कि अब अधिकारियों ने अपना गिरेबां बचाने के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ ही एफआइआर दर्ज करवाना के लिए पुलिस में शिकायत दे डाली। और तो और निगम के एसई को तो अभी तक ये भी पता नहीं है कि ये एरिया किस एसडीओ के अंडर आता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जहां सामान लगना चाहिए था, वहां लगा ही नहीं और जहां नहीं लगना चाहिए था वहां कैसे लग गया। विद्युत निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पूरी तरह से संदिग्ध रही, इस मामले की बार-बार शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद भी आज तक किसी तरह की कोई कार्यवाही अमल में नही लाई गयी। गुरलाल सिंह ने कहा कि अब पुलिस महकमे ने एफआईआर के नाम पर एक और कारनामा कर दिया, जोकि इतिहास में आज तक नहीं हुआ। अब पुलिस की इसमें मंशा क्या है, ये तो वही बताएंगे।