सिरसा। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा में हाल ही में छात्रों द्वारा की गई शांतिपूर्ण मांगों और प्रतीकात्मक धरने को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अनुशासनहीनता बताकर उस पर कार्रवाई की बात करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। इनसो के पूर्व विश्वविद्यालय अध्यक्ष संजय बिश्नोई ने कहा कि यह कार्रवाई दर्शाती है कि विश्वविद्यालय अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की दिशा में बढ़ रहा है, जो किसी भी लोकतांत्रिक संस्था के लिए शर्मनाक है। छात्रों ने कोई तोडफ़ोड़ या हिंसात्मक प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने केवल अपनी जायज मांगों को लेकर लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने रखी। ऐसे में अगर इस पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है, तो यह न केवल छात्रों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा, बल्कि यह पूरे छात्र समुदाय को चुप कराने का षड्यंत्र भी प्रतीत होता है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इनसो हर उस छात्र के साथ खड़ा है, जो अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाता है। विश्वविद्यालय का यह रवैया छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। अगर हर बार किसी छात्र द्वारा सवाल पूछना, मांग उठाना या प्रदर्शन करना अनुशासनहीनता बनता जाएगा, तो आने वाले समय में शिक्षा संस्थान जेलों से कम नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि विधि विभाग के चेयरमैन द्वारा छात्रों के खिलाफ एक्शन लेने की सिफारिश करना और प्रॉक्टर तथा चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर द्वारा रिपोर्ट बनाकर छात्रों को दोषी ठहराने का प्रयास, इस पूरे मामले में प्रशासन की एकतरफा सोच और छात्रों के प्रति असंवेदनशीलता को उजागर करता है। इनसो यह साफ कर देना चाहता है कि अगर प्रशासन छात्रों पर कार्रवाई करता है, तो हम शांत नहीं बैठेंगे। पूरे प्रदेश और देशभर के इनसो कार्यकर्ता एकजुट होकर इसका विरोध करेंगे। एक और बड़ा छात्र आंदोलन होगाए जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी। हम पुन: दोहराते हैं कि चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय किसी अधिकारी की जागीर नहीं है। यह छात्रों की मेहनत, संघर्ष और सपनों से बना एक मंदिर है, जिसे हम किसी भी कीमत पर टूटने नहीं देंगे। विश्वविद्यालय छात्रों का है और छात्रों से ही चलता है। यह कोई निजी संस्थान नहीं है, जहां कुछ अधिकारी एसी कमरों में बैठकर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करें। ऐसे तानाशाही फैसले, जो जमीनी हकीकत से दूर और छात्रों की आवाज को दबाने के इरादे से लिए जाते हैं, उन्हें इनसों कतई स्वीकार नहीं करेगा। बिश्नोई ने कहा कि अधिकारियों की मनमानी अब नहीं चलेगी। विश्वविद्यालय में लोकतंत्र होगा, संवाद होगा, न कि आदेश और दमन। छात्रों को मोहरे समझने वालों को यह समझना होगा कि छात्र सिर्फ पढ़ते नहीं, अपनी लड़ाई भी खुद लडऩा जानते हैं। हमारा संघर्ष न्याय का है, हमारी लड़ाई अधिकार की है। और हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक विश्वविद्यालय में छात्रों की आवाज को सम्मान न मिले।