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संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित शिविर में 124 लोगों ने किया रक्तदान

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सिरसा। प्रेम और भाईचारे की भावना को उजागर करता मानव एकता दिवस निरंकारी मिशन द्वारा प्रति वर्ष 24 अप्रैल को बाबा गुरबचन सिंह जी की पावन स्मृति में श्रद्धा और आध्यात्मिक भावनाओं से परिपूर्ण वातावरण में आयोजित किया जाता है। इस वर्ष भी, संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा पूरे भारतवर्ष की लगभग 500 से अधिक ब्रांचों पर भव्य रक्तदान शिविरों की अविरल शृंखला आयोजित की गई। इसी कड़ी में सिरसा के बरनाला रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में डिस्ट्रिक्ट रेड क्रॉस सोसाइटी के सहयोग व सिविल हॉस्पिटल से डा. हिमानी की देखरेख में रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। वहीं इसी दौरान आयोजित सत्संग की अध्यक्षता संत निरंकारी मंडल, दिल्ली से आए ज्ञान प्रचारक महात्मा प्रोफेसर जीएस पोपली ने की। प्रोफेसर जीएस पोपली ने इस दौरान आध्यात्मिक संदेश के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी दिया और रक्तदान के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने संत निरंकारी मिशन की नर सेवा नारायण पूजा की भावना पर प्रकाश डालते हुए अपने भाव प्रकट किए। इस दौरान उन्होंने आत्मिक आनंद, प्रभु प्रप्ति,आध्यात्मिक जागृति जैसे विभिन्न विषयों पर अपने बहुमूल्य विचार रखे। टोहाना जोन के जोनल इंचार्ज रमन नागपाल ने इस दौरान संत निरंकारी मंडल, दिल्ली से पहुंचे ज्ञान प्रचारक महात्मा प्रोफेसर जीएस पोपली का अभिवादन किया और आस-पास के इलाकों से पहुंचे श्रद्धालुओं का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि सिरसा के बरनाला रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में प्रात: 9 बजे से 12 बजे तक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा 124 यूनिट रक्तदान किया गया। टोहाना में 122 यूनिट, डबवाली में 124 यूनिट, जींद में 173 यूनिट रक्त दान किया गया। रमन नागपाल ने बताया कि इसी दौरान मंडी डबवाली के चौटाला रोड स्थित संत निरंकारी भवन, टोहाना और जींद के संत निरंकारी सत्संग भवनों पर भी  प्रात: 9 बजे से 12 बजे तक रक्तदान शिविरों का आयोजन किया गया। युगदृष्टा बाबा गुरबचन सिंह ने सत्य बोध के माध्यम से समाज को अंधविश्वासों और कुरीतियों से मुक्त करए नशा मुक्ति, सादा विवाह और युवाओं को सकारात्मक सोच के साथ जोडऩे जैसे लोक-कल्याणकारी अभियानों की प्रेरक शुरुआत की। उनके पावन मार्गदर्शन को आगे बढ़ाते हुए बाबा हरदेव सिंह ने रक्त नाडिय़ों में बहे, नालियों में नहीं का अमर संदेश देकर रक्तदान को मिशन की आध्यात्मिक सेवा का अभिन्न अंग बना दिया। यह संदेश आज भी प्रत्येक निरंकारी भक्त के हृदय में सेवा और समर्पण की प्रेरक लौ बनकर जीवंत है। यह महाअभियान केवल रक्तदान नहीं, बल्कि सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज की करुणा, सेवा और एकत्व के संदेश को जीवन में उतारने का सजीव माध्यम है, जो हमें सिखाता है कि मानवता ही सर्वोच्च धर्म है। इसी प्रेरणा से प्रेरित संत निरंकारी मिशन, सेवा और समर्पण के पथ पर निरंतर मानवता का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

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