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भाजपा सरकार की उपेक्षा से गिरती जा रही है सरकारी स्कूलों की शाख: कुमारी सैलजा

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कहा-12 साल में सरकारी स्कूलों में कम हो गए पांच लाख बच्चे

 

प्राइवेट स्कूलों को प्रोत्साहन देकर सरकारी को बंद करने की रच रही है साजिश

चंडीगढ़, 26 अप्रैल।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों की उपेक्षा के चलते 12 सालों में सरकारी स्कूलों में 05 लाख बच्चे कम हो गए। सरकार नई शिक्षा नीति की बात तो कर रही है पर उसके पास जर्जर स्कूली भवनों की मरम्मत या नए भवनों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए धन नहीं है। सरकारी प्राइवेट स्कूलों को प्रोत्साहित कर सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश कर रही है, अगर शिक्षा प्राइवेट स्कूलों के हाथों में पहुंच गई तो किसी गरीब का बच्चा पढ़ाई के सपने तक नहीं देख पाएगा। सबसे बड़ी बात ये है कि प्रदेश की जनसंख्या बढ़ रही है और स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है।

 

मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि किसी भी राज्य या देश की प्रगति में शिक्षा का अहम योगदान होता है, सबको शिक्षा देना हर सरकार का दायित्व है। जैसे जैसे आधुनिक तकनीक विकसित हो रही है शिक्षण का तरीका भी बदल रहा है। हर बच्चे को शिक्षा देना सरकार का काम है और सरकार इस जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती। गरीब बच्चों को शिक्षा देने का सिर्फ सरकार दिखावा कर रही है, गरीब बच्चों के लिए शिक्षा की हर योजना प्राइवेट स्कूलों ने ताक पर रखी हुई है। प्रदेश की 2014 में जनसंख्या दो करोड़ 53 लाख थी, 2024 में जनसंख्या बढ़कर तीन करोड़ 78 लाख हो गई यानि जनसंख्या तो बढ़ रही है पर सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है, दूसरे जब प्रदेश की 70 प्रतिशत जनता बीपीएल सूची में है तो उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में होने चाहिए था पर ऐसा नहीं है।

 

सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने का कारण खुद सरकारी बनी हुई है पर मानने को तैयार नहीं है। शिक्षा को सरकार ने खेल बनाकर रख दिया है, सरकारी स्कूलों में भवन नहीं है, भवन है तो जर्जर हो चुके है, बच्चों के लिए पीने के पानी और शौचालय तक सुविधा नहीं है, जहां पर बच्चे हैं वहां पर शिक्षक नहीं है और जहां पर शिक्षक है वहां पर बच्चे नहीं है, ये सब सरकार की गलत नीतियों के कारण हो रहा है। सरकारी शिक्षकों को प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों से कई गुना वेतन मिलता है फिर भी परिणाम प्राइवेट स्कूलों का बेहतर होता है सरकार को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए। शिक्षा को व्यवसाय बनाने से रोकना सरकार की जिम्मेदारी है, शिक्षा को अनिवार्य किया जाना चाहिए और इस प्रकार की सुविधाएं प्रदान कराई जाए कि हर अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने के बारे में सोचे।

 

कुमारी सैलजा ने कहा कि अगर सरकार के ही आंकड़े देखे तो पता चलता है कि 2013-14 से 2024-25 के बीच सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या पांच लाख कम हो गई। पहले जहां सरकारी स्कूलों में 2728891 बच्चे दाखिल हुए थे 2025-26 में संख्या घटकर 19 लाख नौ हजार रह गई। सरकार को शिक्षा पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए क्योंकि देश के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।

 

 

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