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हरियाणा में किसानों को न तो समय पर भुगतान मिला और न ही सम्मान: कुमारी सैलजा

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चंडीगढ़, 27 अप्रैल। 
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा के किसानों को अपनी पसीने की कमाई के लिए कई कई सप्ताह इंतज़ार करना पड़ रहा है। सरकार ने 72 घंटे में भुगतान का वादा किया था, पर 873 करोड़ की राशि अब भी तक अटकी हुई है। अनाज मंडियों में उठान की व्यवस्था चरमरा चुकी है। गेहूं के ढेर मंडियों में सड़ रहे हैं, और भाजपा सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है। ट्रांसपोर्ट, श्रमिक और प्रबंधन, हर मोर्चे पर भारी अव्यवस्था व्याप्त है, लेकिन सरकार की संवेदनहीनता बनी हुई है। भाजपा सरकार के शासन में किसान केवल खोखले वादों और झूठी घोषणाओं का बोझ ढोने को विवश हैं। न उन्हें समय पर भुगतान मिला, न सम्मान। गेहूं की फसल का भुगतान न मिलने से किसान परेशान हैं।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि गेहूं खरीद को लेकर जो भी वायदे किए थे सारे के सारे धरे रह गए है जबकि खरीद का आधा समय निकल चुका है। अनाज मंडियों में कोई सुविधा तक दिखाई नहीं दे रही है जबकि सरकार दावे कर अपनी ही पीठ थपथपा रही है, इस सरकार में न तो कोई करने वाला है और न ही कोई सुनने वाला है। 72 घंटें में भुगतान का राग अलापने वाली भाजपा सरकार को पता होना चाहिए कि किसानों का उसकी ओर अभी तक 873 करोड़ रुपया अटका हुआ है। भुगतान के लिए भटक रहे किसान को आर्थिक कठिनाई हो रही है। सरकार ने किसानों को उनकी उपज का भुगतान 72 घंटों के भीतर करने का वादा किया था, लेकिन कई किसानों को यह वादा पूरा नहीं हुआ है, सरकार किसानों से वादाखिलाफी करने के लिए ही वायदे करती है। गेहूं और सरसों की फसलों का उठान भी ठीक से नहीं हो रहा है, जिससे किसानों को और परेशानी हो रही है। किसानों की मुख्य चिंता यह है कि उन्हें अपनी फसल का उचित भुगतान नहीं मिल रहा है ऊपर से खरीफ फसलों की बिजाई भी करनी है। अगर भुगतान न हुआ तो बिजाई कैसे होगी।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल के आंकड़े बताते हैं कि देशभर के हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत 9 राज्यों में गेहूं की खरीद प्रक्रिया चल रही है, इन राज्यों के 291 जिलों में स्थित मंडियों और खरीद केंद्रों पर किसानों से गेहूं खरीदा जा रहा है। आंकड़े के अनुसार करीब 33 लाख किसानों ने एमएसपी भाव पर गेहूं बेचने के लिए अपने अपने राज्यों में रजिस्ट्रेशन कराए हैं। आंकड़ों के अनुसार 127 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पूरा डाटा है कि किस किसान ने कितनी गेहूं की बिजाई की है और कितनी पैदावार की संभावना है उसी का आंकलन करते हुए उसे तैयारी करनी चाहिए थी। कुमारी सैलजा ने कहा कि सच्चाई तो ये है कि भाजपा कभी किसान हितैषी रही ही नही वे सिर्फ दिखावा करती है।

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