रोड़ी बाजार स्थित जैन सभा में प्रवचनों के दौरान बोले जैन मुनि
सिरसा।
इंसान को जीवन में सफलता के लिए आगे बढ़ने के लिए एक ही कुंजी है, वह है विनय और विवेक है। यदि विनय भाव और विवेक दोनों को अपने जीवन में आत्मसात करें तो इंसान के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। यह बात शुक्रवार को ज्योतिषाचार्य वचन सिद्ध उप प्रवर्तक सत्यप्रकाश जी महाराज ने प्रवचनों के दौरान कही। जैन संत सत्यप्रकाश जी महाराज व समर्थ मुनि जी महाराज ठाणे-2 एस.एस जैन सभा में भगवान महावीर की वाणी के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखा रहें है। उन्होंने कहा कि इंसान यदि विनय व विवेक के साथ रहे तो उसे किसी भी बात का दुख नहीं होता। विनय का विकास जीवन का एक सद्गुण के समान है, वहीं विद्या, विनय के साथ जीवन में विवेक भी होना चाहिए।
सत्यप्रकाश जी महाराज ने नवकार महामंत्र की महिमा बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा मंत्र है जिसे निरंतर जाप करने से तनाव दूर चला जाता है जिसके लिए नवकार का जाप धैर्य रखते हुए करना चाहिए। जिस इंसान मे धैर्य आ गया वे न केवल तनावमुक्त रहते हैं, बल्कि सही निर्णय लेने में भी सक्षम होते हैं। उन्होंने कहा कि संयम और धैर्य एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण गुण हैं, जो उसकी सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता व्यक्तित्व को मजबूती प्रदान करती है।
वहीं उन्होंने वर्तमान में नई पीढ़ी शिक्षा तो प्राप्त कर रही है, लेकिन ज्ञान एवं ज्ञान के साधनों का अर्थात बैग, पुस्तक, पेन आदि का अनादर कर रही है। यही कारण है कि वर्तमान पीढ़ी में ज्ञान तो बढ़ा, लेकिन विवेक और बुद्धि नष्ट होती जा रही है। उन्होंने कहा कि विद्या भले ही कम हो, लेकिन जिसके पास बुद्धि और विवेक है वह सुख और शांति प्राप्त कर अपना उत्थान कर सकता है। माता-पिता का पहला कर्तव्य होता है कि वे अपने बच्चों को विनय एवं विवेक के साथ शिक्षा यानी विद्या अध्ययन कराएं।
इस अवसर पर एस.एस जैन सभा के प्रधान मनोहर लाल जैन, सचिव नितिन जैन, संदीप जैन भांभू, अशोक जैन, डब्बू जैन, चन्द्रयश जैन, कृष्ण लाल गुप्ता, रमेश जैन चौधरी, बिमल जैन, मोहित जैन, लक्की जैन, रमेश जैन रानियां, शिव जैन, कुणाल जैन, सुरेश जैन व मुनीत जैन सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।