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सरकार की चुप्पी खतरनाक है, संसद को विश्वास में क्यों नहीं लिया जा रहा है?: कुमारी सैलजा

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अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की संप्रभुता को ठेस पहुंचाने वाली घटनाओं पर प्रधानमंत्री मौन क्यों?

 

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की ओर से विशेष सत्र बुलाने की लगातार मांग के बावजूद केंद्र सरकार की चुप्पी गंभीर सवाल खड़े कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब देश की सीमाओं पर स्थिति तनावपूर्ण हो और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की विदेश नीति पर उंगलियां उठ रही हों, तब सरकार संसद को दरकिनार कर प्रचार अभियानों में व्यस्त है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम की घोषणा यदि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, तो यह भारत की विदेश नीति की विफलता है और देश की संप्रभुता के लिए गहरी चिंता का विषय। यह पहला अवसर है जब भारत सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने संसद को अंधेरे में रखा है और विदेशी धरती पर हमारे अधिकारियों को सफाई देने की नौबत आई है। सांसद ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की परंपरा रही है कि जब भी देश के सामने कोई असाधारण स्थिति आती है, तो प्रधानमंत्री स्वयं संसद में उपस्थित होकर देश को भरोसे में लेते हैं। लेकिन आज सरकार का पूरा ध्यान प्रचार और इवेंट मैनेजमेंट पर है, न कि पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर।

कुमारी सैलजा ने मांग की है कि सरकार तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाकर सभी सांसदों और देश की जनता को वस्तुस्थिति से अवगत कराए, भारत-पाक संघर्षविराम की पृष्ठभूमि और उसमें अमेरिका की भूमिका पर संसद में स्पष्ट बयान दे, विदेश नीति से जुड़े निर्णयों में पारदर्शिता सुनिश्चित करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए नीति स्पष्ट करे। कुमारी सैैलजा ने यह भी मांग की हैै कि संसद देश का सर्वोच्च मंच है। उसे अंधेरे में रखकर देश नहीं चलाया जा सकता। सरकार को लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करना चाहिए और जवाबदेही से भागना बंद करना चाहिए।

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