सिरसा जिले के राजकीय महाविद्यालयों की तरफ़ से डॉ हरविंदर सिंह, डॉ गुरनाम सिंह, डॉ सुरेंद्र सिंह, व डॉ विवेक
गोयल ने प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया और फतेहाबाद जिले के राजकीय महाविद्यालयों की तरफ़ से डॉ राकेश कुमार और डॉ रमेश महेरा ने नेतृत्व किया।
ज्ञापन में स्पष्ट रूप से माँग की गई कि विश्वविद्यालय अपने संबद्ध कॉलेजों में कार्यरत योग्य सहायक प्रोफेसर, सहयोगी प्रोफेसर और प्रोफेसर को पीएचडी पर्यवेक्षक (Supervisor) नियुक्त करने की अनुमति दे। प्रतिनिधियों ने कहा कि यह फैसला न सिर्फ विश्वविद्यालय में शोध कार्य को बढ़ावा देगा, बल्कि छात्रों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (KUK) और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU), रोहतक) पहले ही यह विनियमन लागू कर चुके हैं, और पड़ोसी राज्यों के विश्वविद्यालय भी इसी दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसे में CDLU को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।
प्रतिनिधियों ने बताया कि CDLU के कई विभागों में नियमित फैकल्टी की कमी है, और ज़्यादातर पढ़ाई गेस्ट या संविदा आधारित शिक्षकों के भरोसे चल रही है। दूसरी ओर, कॉलेजों में योग्य, अनुभवी और नियमित शिक्षक उपलब्ध हैं जो यूजीसी के मानदंडों के अनुसार पीएचडी पर्यवेक्षक बनने के पात्र हैं।



