सिरसा। पूर्व सांसद डा. सुशील इंदौरा ने एक प्रेस बयान में कहा कि देश व प्रदेश में राजनेताओं की स्वार्थ की राजनीति के कारण खासकर युवाओं का राजनीति से मोह भंग होने लगा है। जारी बयान में पूर्व सांसद ने कहा कि आजादी के बाद देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल के समय की राजनीति व वर्तमान राजनीति में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। उस समय की राजनीति केवल और केवल जनसेवा के लिए थी, लेकिन वर्तमान राजनीति स्वार्थी हो गई है। डा. इंदौरा ने कहा कि लीडरशिप के विश्वास में कमी आई है, कुछेक लोगों को छोडक़र जो राजनीतिक घरानों से है, लेकिन वो भी अपने स्वार्थ के लिए राजनीति कर रहे हैं। आजादी के बाद लीडरशिप में जो विश्वास था, वो अब नहीं रहा। अब तो राजनेताओं ने राजनीति को व्यापार बनाकर छोड़ दिया है। हर कोई पैसे कमाने के लिए राजनीति को इस्तेमाल कर रहा है। पूर्व सांसद ने कहा कि जब वे राजनीति में आए और जिस नेतृत्व को उन्होंने चुना था, वो सेवा के लिहाज से जनता के लिए आदर्श था। अब तो यूज एंड थ्रो की राजनीति हो गई है। जिससे काम करने वाले कार्यकर्ता का भी राजनीति से विश्वास उठ गया है। उन्होंने राहुल गांधी के सामाजिक न्याय अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल गांधी को छोडक़र कोई भी राजनीतिक दल का नेता सामाजिक न्याय व संघर्ष की बात नहीं करता। चुनाव के समय ही पार्टी के नेता घरों से निकलते हंै और लोगों से मिले के लिए जाते हंै। विश्वास खोने का यह भी एक बड़ा कारण है। पूर्व सांसद ने कहा कि आज का युवा सजग नहीं है। ये बात सच है कि राजनीति में युवाओं को एनर्जी के साथ-साथ जागृति भी मिलती है, लेकिन सजगता न होने के कारण युवा राजनीति में अपनी वो भूमिका नहीं निभा पा रहा है, जो किसी देश के लिए जरूरी है। भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए डा. इंदौरा ने कहा कि जब से भाजपा की सरकार आई है, वो राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों से छलावा कर रही है। लोगों की भावनाओं से खेल रही है, जोकि देश के लिए बड़ा घातक हो सकता है। उन्होंने कहा कि अब सिद्धांत की राजनीति नहीं रही। जो जी-हजूरी करता है, वो तो हवा में रहता है व राजनीतिक फायदा उठा लेता है, लेकिन जो काम करने वाला है, उसे महत्व नहीं दिया जा रहा है। इसी नीति के कारण किसी एक राजनीतिक दल नहीं, सभी राजनीतिक दलों की स्थिति ऐसी है। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण यही रहा। जो कद्दावर नेता थे, वो घर बैठे रहे, जो नए आए उन्हें टिकट देकर चुनाव लड़वा दिया, जो कि पार्टी की हार का कारण बना। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हर व्यक्ति की राजनीति में भागीदारी के लिए जो अभियान चला रहे हंै, वो काबिले तारीफ है। लेकिन संगठन के कुछ लोग अभी भी उनके अभियान में टांग अड़ाने का काम कर रहे हंै, जोकि संगठन के लिए ठीक नहीं है।