सिरसा। राजकिय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नाथूसरी कला में एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत लड़कियों के लिए स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों के एनीमिया, शुगर टेस्ट, ब्लड टेस्ट, अनिमिया जांच शिविर का आयोजन किया गया। कैंप का शुभारंभ प्राचार्य सतवीर सिंह ढिढारिया ने किया। उन्होंने बताया कि समय-समय पर छात्राओं के स्वास्थ्य से संबंधित मेडिकल कैंप का आयोजन विभाग द्वारा करवाया जाता है। केंप प्रभारी स्वीटी एमपीएचडब्ल्यू, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नाथूसरी चोपटा ने छात्राओं का चेकअप किया। उन्होंने बताया कि एनीमिया के लक्षण इसकी गंभीरता के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं तथा थकानए कमजोरीए चक्कर आना और उनींदापन से लेकर बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में कमी और रुग्णता में वृद्धि तक हो सकते हैं। तंत्रिका नली दोष, कम वजन। मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में, एनीमिया मातृ और शिशु मृत्यु के सबसे आम रोकथाम योग्य कारणों में से एक है। अपने सबसे गंभीर रूप में, एनीमिया मृत्यु का कारण भी बन सकता है। विद्यालय प्रवक्ता दलबीर सिंह और बायोलॉजी प्रवक्ता सरिता चौधरी ने कहा कि एनीमिया के कई कारण हैं, जिनमें से स्कूली बच्चों और प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं में लगभग 50 प्रतिशत एनीमिया आयरन की कमी के कारण होता है और 2-5 वर्ष की आयु के बच्चों में 80 प्रतिशत एनीमिया का कारण बनता है। आयरन के अलावाए विटामिन बी12, फोलेट और विटामिन ए जैसी अन्य पोषक तत्वों की कमी भी एनीमिया का कारण बन सकती है, हालांकि उनके योगदान की मात्रा स्पष्ट नहीं है। संक्रामक रोग विशेष रूप से मलेरिया, कृमि संक्रमण, तपेदिक और हीमोग्लोबिनोपैथी एनीमिया के उच्च प्रसार के अन्य महत्वपूर्ण कारण हैं। एनीमिया को रक्त में हीमोग्लोबिन की निर्धारित सीमा से कम सांद्रता के रूप में परिभाषित किया जाता है। विभिन्न आयु वर्गों में एनीमिया के निदान के लिए उपयोग किए जाने वाले हीमोग्लोबिन सीमा का वर्णन नीचे किया गया है। इस अवसर पर प्रवक्ता अंकिता, सुमन, सुलक्षणा, पिंकी, गीता रानी, रितु वर्मा, आशा वर्कर सरोज, इंदिरा स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मौजूद रही।