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अठाई व्रत की तपस्या और मेहंदी रस्म में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

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जैन धर्म में तप की अद्भुत शक्ति
अठाई व्रत की 15वीं तपमिस्या पर साध्वी सर्वज्ञ प्रभा जी का प्रेरणादायक संदेश

जप, तप और स्वाध्याय से लती है आत्मिक शुद्दि
जैन धर्म में तप और संयम का विशेष महत्व है। तपस्या न केवल आत्मा की शुद्धि का मार्ग है, बल्कि यह व्यक्ति को कर्मों की निर्जरा के पथ पर अग्रसर भी करती है। इसी संदर्भ में आज कालांवाली नगर में एक विशेष आध्यात्मिक आयोजन हुआ, जिसमें अठाई व्रत कर रहे नरेश जैन की तपस्या पर साध्वी सर्वज्ञ प्रभा जी महाराज साहब ने अपने प्रवचनों द्वारा श्रद्धालुओं को दिव्य प्रेरणा प्रदान की।
साध्वी श्री कैलाशवती जी महाराज साहब की अंतेवासी शिष्या महासाध्वी सर्वज्ञ प्रभा जी ने इस अवसर पर तपस्या के विभिन्न आयामों को श्रद्धालुओं के समक्ष रखते हुए कहा कि जप, तप और स्वाध्याय जैन‌ जीवनशैली की आत्मा हैं। उन्होंने फरमाया कि आठ दिन तक केवल प्रासुक जल पर रहकर की जाने वाली अठाई तपस्या न केवल शरीर को अनुशासित करती है बल्कि आत्मा की भी परिशुद्धि करती है। उन्होंने फरमाया कि
तप आत्मा को तेजस्वी बनाता है ।
साध्वी जी ने कहा कि तप वह दीया है जो आत्मा के भीतर जलता है और कर्मों की कालिमा को मिटा देता है। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से आह्वान किया कि वे अपनी दिनचर्या में एकाशन, आयंबिल, उपवास, और प्रत्याख्यान जैसी तप विधियों को अपनाएं। उन्होंने समझाया कि हर कोई अपनी सामर्थ्य अनुसार तप कर सकता है चाहे वह एक दिन का उपवास हो या दीर्घकालीन व्रत।इस अवसर पर महासाध्वी श्री नमिता जी महाराज साहब ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि तप एक साधना है जो आत्मा को प्रभु से जोड़ती है। उनका संदेश था कि सच्चा धर्म वह है जो आत्मा को भीतर से आलोकित करे।
अठाई व्रत की तपस्या और मेहंदी रस्म में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
नरेश जैन द्वारा की जा रही यह उनकी लगातार 15वीं अठाई तपस्या है, जिसे लेकर समूचे नगर में उत्साह और गर्व का वातावरण है। आज उनकी अठाई के अवसर पर पारंपरिक ‘मेहंदी रस्म’ का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने उत्साह से भाग लिया।
परिवारजनों सहित जैन समाज के सदस्यों ने नरेश जैन को मेहंदी लगाकर सम्मान प्रकट किया और उनकी तपस्या को नमन किया। इस मौके पर जैन सभा के प्रधान संदीप जैन और सचिव राकेश जैन ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि यह साधना की प्रेरणा देने वाला क्षण है। नरेश जी की 15वीं अठाई तपस्या समर्पण का जीवंत उदाहरण है।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने बढ़ाया आयोजन का गौरव
इस आयोजन में शहर के कई गणमान्य नागरिकों और समाजसेवियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। जिनमें प्रमुख थे
आढ़ती संगठन के जिला अध्यक्ष प्रदीप जैन,
पार्षद नितिन गर्ग
पार्षद सिकंदर वाहिया,
पूर्व सरपंच जगदीश राय,
तरसेम धर्मपुरा,महेश धरमपुरा,राकेश राका,
प्रहलाद राय,युवा मंडल के प्रधान भूषण जैन,
महिला मंडल की प्रधान निर्मला जैन साहित अनेक जैन श्रद्धालु मौजूद थे।
सभी ने तपस्या के इस पावन क्षण पर नरेश जैन और उनके परिवार को शुभकामनाएं दीं और कहा कि ऐसे आयोजन समाज को संयम, सहिष्णुता और श्रद्धा की ओर प्रेरित करते हैं।
भजन संध्या में भावविभोर हुए श्रद्धालु
इस मोके पर प्रसिद्ध भजन गायक संजीव जैन ने अपनी मधुर वाणी से वातावरण को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। मुक्ति का मार्ग है तपस्या जैसे भजनों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भजन सुनकर न केवल लोगों की आंखें नम हुईं, बल्कि कई श्रद्धालु भक्ति में झूम उठे।
समाज को एक नई दिशा देता है तप का मार्ग
अंत में साध्वी सर्वज्ञ प्रभा जी ने कहा कि तप और संयम जैन धर्म की आत्मा हैं। यदि समाज में हर व्यक्ति थोड़े-से भी संयम का पालन कर ले, तो जीवन में संतुलन, शांति और संतोष आ जाएगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे मोबाइल और सोशल मीडिया की दुनिया से थोड़ा बाहर निकल कर आत्मा की शांति के लिए समय निकाले

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