सिरसा। इंस्पायर अवार्ड मानक के तहत 28 अगस्त 2025 को राज्य स्तरीय प्रदर्शनी एवं परियोजना प्रतियोगिता का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया था, जिसमें समस्त हरियाणा से आठ विद्यार्थियों के आईडिया राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुए हैं। जिला विज्ञान विशेषज्ञ डा. मुकेश कुमार ने बताया कि सिरसा जिला से एन एम कान्वेंट पब्लिक स्कूल अलीकां के विद्यार्थी हार्दित शर्मा के मॉडल बहुउद्देशीय तंदूर एक स्मार्ट और कुशल खाना पकाने का समाधान का चयन राष्ट्रीय स्तर के लिए हुआ है।
क्या है हार्दित के मॉडल की विशेषता:
यह मॉडल पारंपरिक भारतीय तंदूरी खाना पकाने को आधुनिक तकनीक के साथ जोडऩे के विचार पर आधारित है। यह दर्शाता है कि कैसे एक ही उपकरण ऊर्जा और जगह बचाते हुए ग्रिलिंग, बेकिंग, रोस्टिंग और टोस्टिंग जैसे कई खाना पकाने के कार्य कर सकता है। इस मॉडल में हार्दित शर्मा ने बताया है कि विज्ञान हमारे दैनिक जीवन में खाना पकाने को अधिक कुशल, पर्यावरण के अनुकूल और सुविधाजनक बनाने में हमारी मदद कर सकता है। यह मॉडल ऊष्मा स्थानांतरण के सिद्धांत पर काम करता है, मुख्यत: चालन, संवहन और विकिरण। तंदूर लकड़ी या चारकोल का उपयोग करके उच्च ताप उत्पन्न करता है, जिससे भोजन सभी तरफ से समान रूप से पकता है। मॉडल का बाहरी भाग मोटी इन्सुलेटेड शीट से बना है, जो इसकी गर्मी को बरकरार रखता है और बेलनाकार आकार इसकी गर्मी को समान रूप से वितरित करने में मदद करता है। यहां एक फायरबॉक्स है, जहां हम लकड़ी,, कोयला आदि डाल सकते हैं और नीचे राख इक_ा करने के लिए राखदान है। हमने इसके ऊपरी ढक्कन पर चिकनी मिट्टी की एक परत लगाई है। इससे हम चपाती को चिपका सकते हैं और पकने तक ढक्कन बंद कर सकते हैं। इससे हाथ जलने से भी बचेंगे। इसके अलावा इस तंदूर में एलपीजी गैस कुकिंग विकल्प भी दिया गया है, जिससे आप एलपीजी से भी खाना बना सकते हैं और अगर एलपीजी उपलब्ध न होए तो इस तंदूर का उपयोग लकड़ी या कोयले से भी कर सकते हैं।
इस पर भूनना, उबालना, पकाना, ग्रिलिंग,, बेकिंग आदि भी कर सकते हैं। इसकी अतिरिक्त गर्मी बर्बाद न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए इसमें एक पानी की टंकी लगाई है,, जो इसकी अतिरिक्त गर्मी से पानी गर्म करने में मदद करेगी। किसी भी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए इस तंदूर के ऊपरी सिरे पर एक लोहे की ऊनी जाली लगाई है। यह जाली धुएं में मौजूद कार्बन कणों को फंसा लेती है, जिससे लकड़ी या कोयले के जलने से होने वाला प्रदूषण काफी कम हो जाता है। इसके अलावा लोहे की ऊनी जाली पर जमा कार्बन का पुनरू उपयोग स्याही जैसे उपयोगी कार्बन-आधारित उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है। इस प्रकार यह तंदूर न केवल बहुउद्देशीय है, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-बचत वाला भी है, जो इसे एक स्मार्ट और टिकाऊ खाना पकाने का समाधान बनाता है।