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जब-जब धरती पर पाप बढ़ा है, तब-तब भगवान ने अवतार लिया है: साध्वी कालिंदी भारती

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सिरसा। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री मद्भागवत कथा साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है्र, जिसके अन्तर्गत भगवान की दिव्य लीलाओं व उनके भीतर छिपे हुए गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंग व सुमधुर भजन संकीर्तन के माध्यम से उजागर किया जा रहा है। गोवंश में आ रही क्षीणता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कालिंदी भारती ने कहा कि गौ की रक्षा व हित संवर्धन के लिए स्वयं परमात्मा इस धरती पर आते हैं, पर उनकी सन्तान इस सेवा से क्यों वंचित हैं? वैदिक काल से मानव जीवन का आधार यज्ञ, दान व तप को माना गया है। यदि गहराई से विचार किया जाए तो इन सब का आधार सिर्फ  गौ ही है। यदि भारतीय संस्कृति की व्याख्या संक्षेप में करनी हो तो यह गौ रूप है। गौ जैसा परोपकारी जीव हमें मेहनत व शांत जीवन जीने की प्रेरणा देता है। गौ प्रेम कारण ही हमारे देश में गोकुल, गोवर्धन, गोपाल इत्यादि नाम प्रचलित हैं। प्राचीन भारत में गाय प्रेम की अद्भुत उदाहरण हमें प्रत्यक्ष नजर आती है। गायों की संख्या के आधर पर ही भारतीय किसानों को नंद, उपनंद व नंदराज इत्यादि नाम दिए जाते थे। महापुरुषों ने जहां संसार में मानवता की रक्षा की बात की है, वहीं उन्होंने गौ रक्षा को भी श्रेष्ठ स्थान प्रदान किया है। गौ के संबंध में हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि गौ वह करने योग्य नहीं है। गाय वध करने वाले के लिए मौत की सजा सुनाई गई है। भारत की संपन्नता गाय के साथ जुड़ी हुई है। गाय मानव का सच्चा साथी है। बड़े दु:ख की बात ही कि देश में पूजा योग्य गाय की हालत अति दयनीय है। आज पशु मेलों के नाम पर करोड़ों की संख्या में हमारा पशु बूचडख़ानों में पहुंचता है, जहां पहुंचकर उनकी अंतिम यात्रा होती है। सदियों से अहिंसा का पुजारी भारत देश आज हिंसक व मांस निर्यातक देश के रूप में उभरता जा रहा है। देश के विभाजन से पहले देश में केवल 300 बूचडख़ाने थे, परन्तु आज देश में 31000 बूचडख़ाने हैं। इससे बढक़र देश का दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि देश में अनमोल गौवंश की हत्या लगातार जारी है। आज देश में कानूनी व गैर-कानूनी तौर पर हजारों ही बूचडख़ाने चल रहे हैं, जिनमें प्रतिदिन लाखों की संख्या में पशुओं को काटा जा रहा है। यदि गौवंश के वह पर रोक न लगाई गई तो वर्ष 2020 तक भारत देश में गौ माता एवं गौ धन बिल्कुल खत्म हो जाएगा। साध्वी जी ने कहा कि मानव के उपर परमात्मा की यह बहुत बड़ी कृपा है कि उसे शरीर के लिए आवश्यक स्वर्ण गाय के दूध से प्राप्त हो जाता है। पंचगव्य दूध, दही, गोबर, मूत्र, घी का सेवन करके लाईलाज रोगों से भी छुटकारा प्राप्त हो सकता है। वैज्ञानिकों ने भी यह सिद्ध किया है कि गौमूत्र में ऐंटीसेप्टिक तत्व पाए जाते हैं, जिसके द्वारा 400 से भी ज्यादा बीमारियों का ईलाज किया जा सकता है। उन्होंने कथा दौरान कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गौवंश के साथ प्रेम करके समस्त मानव जाति को गौ प्रति उदार बनने की प्रेरणा प्रदान की है। यह हमारा राष्ट्रीय कत्र्तव्य बनता है कि हम गोवंश का वर्धन करे और भारतीय मानबिन्दुओं की रक्षा करें। कालिंदी भारती ने अवतारवाद की व्याख्या करते हुए कहा कि जब-जब इस धर्म की ग्लानि होती है तथा अर्म का अभ्युत्थान होता है, तब-तब भगवान अपने को इस विश्व में पैदा करते हैं। अजन्मा जन्म को स्वीकार कर लेता है। अकत्र्ता कर्तृत्व को, अभोक्ता उपभोग को स्वीकार कर लेता है। निराकार परमात्मा साकार हो जाता है। समय-समय पर अनेकानेक अवतारों ने भारत की भूमि पर जन्म लिया है। सारा पंडाल नंद महोत्सव के कारण गोकुल गांव की भांति लग रहा था। जब नन्हे से कृष्ण कन्हैया को पालने में डाला गया तो सभी श्रोता तमस्तक हो उठे एवं सारा पंडाल ब्रजवासियों की भांति नाच उठा। कथा में पूजन यजमान परिवार सुनील बंसल, राजीव बंसल, ललित जैन, आत्म प्रकाश बदवा और सुमेरचंद का परिवार सलिल गर्ग, किरण मित्तल, सिंपी गर्ग, मंजू गर्ग, रिंकी गर्ग ने कराया। कथा में विशेष तौर पर जेसीडी के महानिदेशक डा. जयप्रकाश, पवन गंभीर, रणधीर पार्षद, जोगिंदर खट्टर, विनोद सचदेवा, मदनलाल सेतिया, दीपक गोयल, कृष्णा मेहता, हिमांशु मेहता, राजकुमार कंबोज, नरेश सेठी उपस्थित रहे।

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