श्री मद्भागवत कथा के छठे दिन श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का किया वर्णन,
श्री कृष्ण और राधा के विवाह व सखियों संग रास की निकाली सुंदर झांकियां
सिरसा। प्रभात पैलेस में पितृ पक्ष में पितरों कि शांति एवं विश्व कल्याण हेतु श्री बंशीवट कथा समिति द्वारा आयोजित श्री मद्भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास पंडित सुगन शर्मा ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कंस वध और अन्य राक्षसों के अंत पर चर्चा की। भागवत कथा के दौरान श्री कृष्ण और राधा के विवाह व सखियों संग रास की सुंदर झांकियां
प्रस्तुत की गई। पंडित सुगन शर्मा ने कहा कि आत्मा का मन और इंद्रियों पर शासन मनुष्य को महान बनाता है। भागवत में व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के चार सूत्र दिए गए हैं। जिनमें संयम, श्रेष्ठ कर्म, नाम जप और यज्ञ है। उन्होंने कहा कि वेदानुकूल शुभ कर्म, आचरण, धन, यश, मन, सुख-सम्मान का दाता है, जबकि पाप निकृष्ट कर्म मानव को पतन की और ले जाता है। संयम का अर्थ-शरीर, इंद्रियों और मन पर अनुशासन है। इंद्रियों और मन का स्वभाव है। विषयभोगों, विलास और निकृष्ट कर्मों का आचरण। कथा व्यास ने बताया परमात्मा स्वयं प्रेम का ही रूप है। प्रेम से ऊपर कोई संबंध नहीं है, परन्तु प्रेम निष्कपट और निष्काम काम होना चाहिए, तभी वह परमात्मा को प्रिय होता है। महारास में हर आयु वर्ग की गोपियों ने भाग लिया और परमात्मा ने संकेत किया कि मनुष्य कि सुंदरता, आयु या वैभव का महत्व नहीं है, अपितु उसके भाव पर प्रभु रिझते हैं। पंडित सुगन शर्मा ने सुन्दर भजनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के श्रृंगार का वर्णन किया। कथा दौरान भगवान श्री कृष्ण के कंस का वध करने, श्री कृष्ण संग रुक्मणि के
विवाह, मां कात्यानी की पूजा का महत्व समझाया। तत्पश्चात श्री कृष्ण व रुकमणि विवाह की झांकी निकाली गई। इस दौरान मंगल गीत गाए गए। कथा के अंत में श्री बंशीवट कथा समिति के प्रधान इंद्रकुमार चिड़ावेवाला, उपप्रधान सुनील गोयल, सचिव संजय
तायल, सहायक उपप्रधान राधेश्याम बंसल, कोषाध्यक्ष रामकुमार जैन, संदीप सोनी, मुनीष शर्मा, संजय गोयल, तरुण बगड़िया, राजेंद्र जिंदल, दयानंद वर्मा, भवानी शंकर, तरुण, दीपक शर्मा, अश्वनी, रामअवतार, राधा सहित शहर के गणमान्य लोगों ने आरती की। अंत में श्रद्धालुओं को प्रसाद भी वितरित किया।