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मील का पत्थर साबित होगा प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन पोपकोन-2025: एसोसिएशन

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सिरसा। भारत के ओरल पैथोलॉजिस्ट्स के इतिहास में प्रैक्टिसिंग ओरल पैथोलॉजिस्ट्स एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन पोपकोन-2025 मील का पत्थर साबित होगा, जिसका भव्य आयोजन 4 और 5 अक्टूबर 2025 को ऑनलाइन माध्यम से किया गया। इस सम्मेलन ने भारत के ओरल पैथोलॉजिस्ट्स को एक सांझा डिजिटल मंच पर एकजुट कर, देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से जुड़े विशेषज्ञों को जोड़ते हुए ज्ञान, अनुभव और नवाचार का एक अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया। सम्मेलन का उद्देश्य था ओरल डायग्नोस्टिक साइंसेज में आत्मनिर्भरता, नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देना, जिससे भारतीय ओरल पैथोलॉजिस्ट्स को अकादमिक और क्लिनिकल दोनों ही स्तरों पर सशक्त किया जा सके। इसी को ध्यान में रखते हुए सम्मेलन की थीम रखी गई आत्मनिर्भर ओरल पैथोलॉजिस्ट। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में ओरल डायग्नोस्टिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, हेड-नेक ऑन्कोलॉजी, क्लिनिकल रिसर्च, लैब मैनेजमेंट और डिजिटल इनोवेशन्स इन हेल्थकेयर जैसे विषयों पर केंद्रित सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में विशेषज्ञों ने न केवल वैज्ञानिक जानकारी सांझा की, बल्कि प्रैक्टिकल एप्लिकेशन, रिसर्च अप्रोच और इंडस्ट्री कोलैबोरेशन के अवसरों पर भी गहन चर्चा की। सम्मेलन में 18 से अधिक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए, जिनमें ओरल कैंसर डायग्नोसिस, हेड-नेक ट्यूमर्स, प्रिवेंटिव पैथोलॉजी, एंटिमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस, फॉरेंसिक ओडोंटोलॉजी, बायोप्सी टेक्निक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन डायग्नॉस्टिक्स जैसे अत्याधुनिक विषय शामिल थे। इन सभी सत्रों ने प्रतिभागियों को न केवल नवीनतम शोध से अवगत कराया, बल्कि भविष्य की ओरल हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी की दिशा भी स्पष्ट की। सम्मेलन में भारत के विभिन्न राज्यों से 250 से अधिक डेलीगेट्स ने भाग लिया, जिनमें शिक्षाविद, प्रैक्टिशनर्स, पोस्टग्रेजुएट और अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स शामिल थे।

प्रतिभागियों ने 40 से अधिक वैज्ञानिक पोस्टर प्रेजेंटेशन्स प्रस्तुत किए और सभी प्रतिभागियों को 12 सीडीई पॉइंट्स प्रदान किए गए। इस आयोजन की सफलता में पोपमा की गवर्निंग बॉडी, साइंटिफिक कमेटी, आईटी सेल, ऑर्गनाइजिंग कमेटी और कम्युनिकेशन एवं कोऑर्डिनेशन टीम का सामूहिक प्रयास शामिल रहा। ऑर्गनाइजिंग टीम के प्रमुख सदस्य डा. शैलजा चटर्जी, डा. अभिषेक बनर्जी, डा. भुवन नागपाल, डा. अनुज कालरा, डा. पीयूष शर्मा, डा. अभिषेक भद्रन्ना, डा. केतकी कालेले, डा. निधि जाधव, डा. निहारिका एम, डा. होनिका, डा. स्वप्निता पाटिल, डा. शिवानी मुंगाला, डा. नेहा कुमारी और डा. वंदना शाह ने अपने उत्कृष्ट समन्वय, नेतृत्व और समर्पण से इस आयोजन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। विशेष रूप से, टेक्निकल मैनेजमेंट और डिजिटल एक्सीक्यूशन में डा. पीयूष शर्मा की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उन्होंने पूरे सम्मेलन को ऑनलाइन माध्यम से सफलतापूर्वक संचालित करते हुए ऑटोमेटेड रजिस्ट्रेशन सिस्टम, लाइव सेशन्स, डिजिटल सर्टिफिकेट डिस्ट्रीब्यूशन, डेटा इंटीग्रेशन और रियल-टाइम कोऑर्डिनेशन जैसी तकनीकी व्यवस्थाओं को दक्षता से संभाला। उनकी तकनीकी दूरदृष्टि और समर्पण ने सम्मेलन के संचालन को पूर्णत: डिजिटल और त्रुटिरहित बनाया। पोपकोन-2025 न केवल एक सम्मेलन था, बल्कि यह भारतीय ओरल पैथोलॉजी समुदाय की एकताए सामूहिकता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम था। इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि भारत के ओरल पैथोलॉजिस्ट्स अब केवल अकादमिक क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डायग्नॉस्टिक प्रैक्टिस, रिसर्च कोलैबोरेशन, हेल्थकेयर इनोवेशन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इस आयोजन के माध्यम से पोपमा ने एक ऐसा मंच तैयार किया, जहां ज्ञान, कौशल और तकनीक का संगम हुआ, जो आने वाले वर्षों में भारतीय ओरल पैथोलॉजी के विकास और वैश्विक पहचान को और भी सशक्त बनाएगा।

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