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पुलिस ने शिक्षण संस्थानों व चौक चौराहों पर चलाया जागरूकता अभियान

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साइबर सुरक्षा माह के दौरान आमजन को साइबर अपराधों से अवगत कराने थाना शहर पुलिस ने शिक्षण संस्थानों व चौक चौराहों पर चलाया जागरूकता अभियान

सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारी शेयर कर साइबर ठगों को न करें आमंत्रित

जागरूकता  व सतर्कता ही साइबर सुरक्षा का मूल मंत्र

डबवाली पुलिस द्वारा साइबर ठगी के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने व लोगों को भिन्न-भिन्न प्रकार के साइबर अपराधों के बारे में अवगत करवाने के उद्देश्य से एक विशेष अभियान चला गया है । यह अभियान पूरे अक्टूबर माह भर चलाया जाएगा । अक्टूबर माह को विश्व स्तर पर राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह (एनसीएसएएम) के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा और निजी क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाना और राष्ट्र की समग्र साइबर सुरक्षा को मजबूत करना है । जिसके तहत पीएसआई अजीत थाना  शहर ने अपनी टीम के साथ क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों और चौक चौराहों पर साइबर अपराधों से बचाव के तरीके बताने के लिए पहुंचे । उन्होंने सफल अकैडमी मंडी डबवाली में विद्यार्थियों को साइबर ठगों के द्वारा अपनाए जाने वाले तरीकों से अवगत करवाया और अपनी निजी जानकारी किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करने की अपील की । यह साइबर सुरक्षा माह के दौरान साइबर अपराध के तरीकों से पांच सप्ताह के दौरान अलग अलग प्रकार से आमजन को अवगत करवाया जाएगा । जिसके तहत पहले सप्ताह में फर्जी काल, डिजिटल अरेस्ट, निजी फोटो का इस्तेमाल कर लोगों को ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने वाले अपराधों से अवगत करवाया जाएगा व उनसे बचने की जानकारी भी दी जाएगी ।

            जागरूकता अभियानों के दौरान पीएसआई अजीत ने ‘‘जागरूकता व सतर्कता ही साइबर सुरक्षा का महत्वपूर्ण शस्त्र” संदेश के साथ आमजन को साइबर अपराधों व उनके तरीकों से आमजन को अवगत करवाया ।

डिजिटल अरेस्टः-डिजिटल अरेस्ट एक बहुचर्चित तरीका है । फिर भी लोग जाने अनजाने में इसके शिकार हो रहे हैं ।इस स्कैम के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए पुलिस टीमों ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार की साइबर ठगी है जिसमें ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी, पुलिस अधिकारी, कस्टम अधिकारी, व आयकर विभाग का बताकर किसी व्यक्ति को फोन करते हैं या वीडियो कॉल करते हैं । वे व्यक्ति को धमकाते हैं कि उसे गिरफ्तार किया जाएगा या किसी अपराध में फंसाया जाएगा । वे व्यक्ति से व्यक्तिगत जानकारी, बैंक विवरण या पैसे की मांग करते हैं ।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

यदि कोई व्यक्ति आपको फोन करके आपसे कोई जानकारी मांगता है या आपको गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो तुरंत फोन काट दें ।

किसी भी अनजान व्यक्ति को अपना आधार नंबर, बैंक विवरण, ओटीपी या अन्य व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें । किसी भी अज्ञात नंबर से आए कॉल की जांच करने के लिए ट्रू कॉलर जैसे ऐप का उपयोग करें ।

आप संचार साथी की वेबसाइट पर संदिग्ध कॉल की रिपोर्ट कर सकते हैं ।

फर्जी कॉल या एसएमएसः- डिजिटल अरेस्ट से ही मिलता जुलता तरीका जो साइबर ठगों द्वारा अपनाया जा रहा है । इसमें साइबर ठग काल करने खुद को पुलिस अधिकारी या बैंक अधिकारी बन कर कॉल करते हैं । काल करने वाला व्यक्ति खुद को पुलिस अधिकारी बनकर आपको डराता है, धमकाता है कि आप पर यह एफआईआर हो गई है या किसी मुकदमे में आपका नाम आया है । ऐसा करके वह भोले भाले लोगों को बहका कर उनसे मुकदमे से निकालने के लिए पैसों की मांग करते हैं । इसी तरह साइबर ठग बैंक अधिकारी बनकर आपके खाते को ब्लॉक करने, या फ्रीज करने की बात कहते हैं और इसकी एवज में आपसे आपकी निजी जानकारी की मांग करते हैं , जैसे बैंक खाता, सीवीवी व ओटीपी । जिससे कि आपका खाता हैक करके आपकी जमा पूंजी पर हाथ साफ कर देते हैं । ऐसे में आवश्यक है कि किसी भी तरह की फर्जी काल का संदेह होने पर उसकी सत्यता जांचने के लिए अपने नजदीकी थाना में सम्पर्क करें और अपने बैंक से सम्पर्क करें ।

डीपफेक फोटो या वीडियोः- डीपफेक फोटो एक ऐसी डिजिटल इमेज होती है जिसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके बनाया जाता है, ताकि किसी वास्तविक व्यक्ति को ऐसा कुछ करते हुए दिखाया जा सके जो उसने असल में कभी नहीं किया. यह एक सिंथेटिक मीडिया का रूप है, जिसमें मौजूदा तस्वीरों या वीडियो को इस तरह से एडिट किया जाता है कि वह बहुत वास्तविक लगे, लेकिन असल में वह गलत या नकली होती है । जिसके तहत साइबर ठग आपकी सोशल मीडिया पर शेयर की गई फोटो व वीडियो का इस्तेमाल कर उसे आपत्तिजनक वीडियो या फोटो में बदल देते हैं और यूजर के पास भेजकर उसे सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देते हैं । जिसके तहत साइबर ठग पैसों की मांग करते हैं और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करते हैं । जिससे बचने के लिए आवश्यक है कि युजर किसी भी प्रकार की अपनी निजी फोटो व वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करने से बचें और अपने सोशल मीडिया अकाउंट को प्राइवेट रखें ।

          उन्होने आगे कहा कि अगर आपके साथ किसी भी प्रकार की ऑनलाइन ठगी हो जाती है तो तुरंत नेशनल साइबर कंप्लेंट पोर्टल नंबर 1930 पर कॉल करें और www.cybercrime.gov.in पर आनलाईन शिकायत दर्ज कराये जितनी जल्दी हो सके शिकायत दर्ज करवाये इसके अतिरिक्त साइबर अपराध थाना या नजदीक पुलिस स्टेशन में साइबर हेल्प डेस्क पर भी अपनी शिकायत दर्ज कराकर साइबर अपराध के बारे में सहायता ली जा सकती है ।

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