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जीजेयू कुलपति के द्वारा संघ की शाखा लगाने व संघ की पोशाक पहरने पर भड़के छात्र नेता विकास बनभौरी 

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एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) हरियाणा के वरिष्ठ छात्र नेता विकास बनभौरी की ओर से गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार (जीजेयू) के कुलपति एवं कुलसचिव द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने एवं आरएसएस सम्बंधित आयोजनों को प्रोत्साहित करने के घोर आपत्ति व विरोध में यह प्रेस नोट जारी किया जाता है।
विश्वविद्यालय के कुलपति व कुलसचिव का किसी दल या संप्रदाय विशेष के कार्यक्रम में खुलकर भाग लेना न केवल संविधानिक मर्यादा के विपरीत है, बल्कि शिक्षा के लोकतांत्रिक माहौल, समावेशिता और निष्पक्षता को भी आघात पहुंचाने वाला कृत्य है। विश्वविद्यालय का स्वरूप तटस्थ एवं सर्वसुलभ बनाना हर संवैधानिक पदधारी का कर्तव्य है।
संघ (आरएसएस) का विश्वविद्यालय परिसर में खुलेआम कार्यक्रम आयोजित करना, वहां के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में सम्मिलित होना—इन सब गतिविधियों से यह स्पष्ट हो रहा है कि शिक्षा संस्थानों का दुरुपयोग किसी ख़ास वैचारिक, राजनीतिक दिशा में किया जा रहा है।
छात्र संगठन एनएसयूआई स्पष्ट करता है कि विश्वविद्यालय किसी पार्टी, संगठन या संप्रदाय की विचारधारा का प्रचार केंद्र नहीं, बल्कि ज्ञान, तर्क और वैज्ञानिक सोच का मंदिर होना चाहिए। शिक्षण संस्थान की स्वायतता, लोकतांत्रिक मूल्यों, संविधान की रक्षा और विद्यार्थियों के भविष्य की रक्षा के लिए एनएसयूआई प्रतिबद्ध है।
वर्तमान में सरकार द्वारा प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक पदों, जैसे कुलपति व कुलसचिव, की नियुक्ति उसी वर्ग समुदाय से की जा रही है जो सीधे-सीधे भाजपा एवं संघ परिवार से जुड़े हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था, सामाजिक समरसता, व विचार-विविधता की रक्षा हेतु यह व्यवस्था घातक साबित हो रही है।
इस तरह शिक्षा के मंदिरों में दिन प्रतिदिन राजनीतिक व सांप्रदायिक एजेंडा बढ़ाया जा रहा है, जिससे विभाजनकारी सोच को खुलेआम बल मिल रहा है। साथ ही, युवाओं का ध्यान रचनात्मकता, नवाचारी सोच और देशहित से भटक रहा है।[1]
एनएसयूआई मांग करता है—  
– विश्वविद्यालय प्रशासन के संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध तुरन्त जांच एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही हो।
– विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार के राजनीतिक संगठन या धर्म-निरपेक्षता के विपरीत सक्रियताओं पर प्रतिबंध लगाया जाए।
– शिक्षा संस्थान की आत्मा, संविधान की मर्यादाओं, व लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा की जाए।
– छात्रों का भविष्य व परिसर का वातावरण तटस्थ, मुक्त एवं समावेशी रखा जाए।
आंदोलन की चेतावनी:  
अगर शैक्षिक संस्थानों का “संघीकरण” तत्काल रोका नहीं गया तो प्रदेश व्यापी आंदोलन होगा और छात्र हितों की रक्षा के लिए हर स्तर पर विरोध दर्ज कराया जाएगा।

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