सिरसा। गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी दिवाली की तारीखों को लेकर लोगों के मन में संशय बना हुआ है की दिवाली 20 तारीख को मनाई जाए या 21 तारीख को मनानी चाहिए। दिवाली की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति इसलिए बनी हुई है, क्योंकि कार्तिक मास की तिथि एक दिन की बजाय दो दिन पड़ रही है। दिवाली की दिनांक को लेकर मन में चल रही दुविधा को दूर करने के लिए हमारे मत के अनुसार आपको यह जानकारी दे रहा हूं, हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्व होता है । इनमें उदया तिथि का और भी महत्व होता है । हिंदू धर्म में व्रत, त्यौहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है उदया तिथि का अर्थ सूर्य उदय के समय जो तिथि होती है, उसे उदया तिथि कहते हैं। इस तरह से कुछ लोग उदया तिथि को महत्व देते हुए दिवाली 21 अक्टूबर को मानना ज्यादा अच्छा मान रहे हैं। परंतु दिवाली पर लक्ष्मी पूजा हमेशा प्रदोष काल से लेकर मध्य रात्रि के बीच में की जाती है। इसलिए मध्य रात्रि के बीच में पढऩे वाली कार्तिक के दौरान दिवाली मनाई जाती है। इसलिए दिवाली 20 अक्टूबर को ही मनाई जानी चाहिए। वैदिक शास्त्र के नियम शास्त्र में लक्ष्मी पूजन हमेशा अमावस्या तिथि के रहने पर और प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से लेकर देर रात तक करने का विधान है। यानी अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और निशिता कल के मुहूर्त में दीवाली मनाना शुभ माना गया है। इसी कारण जिस दिन कार्तिक महीने की अमावस्या रहे और प्रदोष काल से लेकर आधी रात के बीच में पूजन करना और दीपावली मनाना ज्यादा शुभ व शास्त्र सम्मत रहता है। ऐसी धार्मिक मान्यता भी है की मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में ही हुआ था, जिसके चलते निशिता काल में मां लक्ष्मी जी की पूजा और उनसे जुड़े सभी तरह की साधना आदि करना शुभ है। उन्होंने बताया कि लक्ष्मी पूजन का समय 20 अक्टूबर 17.57 बजे से लेकर 20.29 बजे तक रहेगा। गृहस्थ लोग इसी दौरान लक्ष्मी पूजन करें। शुभ लगन में लक्ष्मी जी की पूजा करने से मां लक्ष्मी स्थिर रहती है। मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा करना अति उत्तम रहेगा ।