सिरसा। छात्र नेता आजाद सिंह व राजेंद्र सिंह ने कहा कि चौ. देवीलाल विश्वविद्यालयए सिरसा में हाल ही में छात्रों द्वारा की गई शांतिपूर्ण मांगों और प्रतीकात्मक धरने को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अनुशासनहीनता बताकर उस पर कार्रवाई की बात करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। जारी बयान में छात्र नेता आजाद सिंह ने कहा कि यह कार्रवाई दर्शाती है कि विश्वविद्यालय अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की दिशा में बढ़ रहा है, जो किसी भी लोकतांत्रिक संस्था के लिए शर्मनाक है। छात्रों ने कोई तोडफ़ोड़ या हिंसात्मक प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने केवल अपनी जायज मांगों को लेकर लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने रखी। इसके साथ छात्र नेता राजेंद्र सिंह ने कहां कि ऐसे में अगर इस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है, तो यह न केवल छात्रों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा, बल्कि यह पूरे छात्र समुदाय को चुप कराने का षड्यंत्र भी प्रतीत होता है। विश्वविद्यालय का यह रवैया छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। अगर विवि प्रशासन छात्रों पर कार्रवाई करता है तो हम शांत नहीं बैठेंगे व अधिकारियों की मनमानी अब नहीं चलेने देंगे। विश्वविद्यालय में लोकतंत्र होगा, संवाद होगा, न कि आदेश और दमन। छात्रों को मोहरे समझने वालों को यह समझना होगा जो कि छात्र सिर्फ पढ़ते नहीं, अपनी लड़ाई भी खुद लडऩा जानते हैं। हमारा संघर्ष न्याय का है, हमारी लड़ाई अधिकार की है। हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक विश्वविद्यालय में छात्रों की आवाज को सम्मान न मिले।
छात्र नेता राजेंद्र सिंह ने कहा कि चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय का प्रशासन विद्यार्थियों को दबाने का कार्य कर रहा है, जो पिछले कार्यकाल में वाइस चांसलर के साथ मिलकर रिजल्ट ब्रांच एवं भर्तियों को बेचने का काम किया है, वह अपना बचाव करने के लिए विद्यार्थियों पर झूठे आरोप-प्रत्यारोप लगा रहा है, जो सरासर गलत है। राजेंद्र सिंह ने कहा कि जल्द सरकार यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ संज्ञान लें, क्योंकि चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के अंदर बैठा हुआ प्रशासन यूनिवर्सिटी को आज भी बेचने का कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री एवं हरियाणा सरकार से निवेदन है कि तुरंत प्रभाव से यूनिवर्सिटी पर जांच के आदेश दें, ताकि सैकड़ों विद्यार्थी का भविष्य बचाया जा सके। यूनिवर्सिटी प्रशासन विद्यार्थियों पर अगर कोई भी (विद्यार्थी विरोधी) एक्शन लेता है तो हमें मजबूरन यूनिवर्सिटी के खिलाफ आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा, जिसका जिम्मेदार जिला प्रशासन एवं यूनिवर्सिटी प्रशासन होगा।