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सांसद सैलजा ने हरियाणा के युवाओं को रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेले जाने पर जताई गहरी चिंता

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कहा- बेरोजगारी को बताया युवाओं की मजबूरी का कारण, केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग

 

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा के फतेहाबाद जिले के कुम्हारिया गांव के दो युवाओं अंकित जांगड़ा (23) और विजय पूनियां (25) को धोखे से रूस ले जाकर यूक्रेन सीमा पर युद्ध में धकेले जाने की घटना पर गहरी चिंता और आक्रोश व्यक्त किया है। सांसद ने इस मामले में केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल इन दोनों युवाओं का वीडियो देखकर मन अत्यंत व्यथित है। यह केवल एक मानवीय संकट नहीं बल्कि हरियाणा में बेरोजगारी की भयावह स्थिति को भी उजागर करता है। कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा लगातार देश में बेरोजगारी दर में पहले स्थान पर रहा है और हालिया आंकड़ों के अनुसार यहां बेरोजगारी दर 25-30 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, जो राष्ट्रीय औसत से कई गुना अधिक है। यह चिंताजनक स्थिति प्रदेश के युवाओं को मजबूर कर रही है कि वे रोजगार की तलाश में देश से बाहर जाएँ और कई बार खतरनाक व धोखाधड़ीपूर्ण परिस्थितियों में फँस जाते हैं। कुमारी सैलजा ने कहा कि यह केवल दो परिवारों का ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के युवाओं के भविष्य का प्रश्न है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत सरकार इस गंभीर मानवीय संकट पर तत्काल हस्तक्षेप करेगी और फंसे हुए सभी युवाओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेगी।

कुमारी सैलजा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इन दोनों युवाओं सहित सभी फंसे भारतीय युवाओं को तुरंत सुरक्षित स्वदेश लाने के लिए ठोस और त्वरित कार्रवाई की जाए, विदेश में युवाओं की तस्करी रोकने और उन्हें झूठे रोजगार के लालच से बचाने के लिए सख्त नीति बनाई जाए, हरियाणा सहित देश के युवाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करने के लिए समयबद्ध योजना लागू की जाए ताकि उन्हें इस तरह जोखिम उठाकर विदेश न जाना पड़े। सांसद ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है, जब हरियाणा के युवा यूक्रेन-रूस युद्ध क्षेत्र में फंसे हों। इससे पहले रूस की ओर से भी कई युवा युद्ध क्षेत्र में फंस चुके हैं। कोई भी घर या परिवार नहीं चाहता कि उसके बच्चे किसी ऐसी जगह पर जाएं, जहां कोई लड़ाई-झगड़ा चल रहा हो या फिर अशांति हो। लेकिन पेट को भरने की मजबूरी युवाओं को देश-प्रदेश छोड़ने पर मजबूर कर रही है।

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