सिरसा। प्रभु रामलाल नर सेवा नारायण सेवा योग ट्रस्ट सिरसा हुडा भवन नंबर 2266, सेक्टर-20, पार्ट-3 में गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर योग गुरु रघुबीर महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने सम्बोधन में फरमाया कि सतगुरु की महिमा अपरम्पार है। गु कहते हैं अज्ञान को, रू का अर्थ नाश। नाश करे अज्ञान को, वह है गुरु प्रकाश। गुरु साधक के जीवन से अज्ञान, अन्धकार को दूर करता है। उसके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश कर देता है। गुरु और ईश्वर में कोई भेद नहीं। गुरु ईश्वर का साकार रूप होते हैं। वे साधक के सच्चे पथ प्रदर्शक हैं। वे साधक के सभी अवगुणों को कैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि का नाश करते हैं। धीरे-धीरे उसे अपने जैसा ही बना देते हैं। रघुबीर महाराज ने आगे फरमाया कि कबीर साहिब ने गुरु महिमा पर बड़े अन्दर शब्दों में फरमाया है कि कबीरा वे नर अंध है, गुरु को कहते और हरि को कहते और। हीर सेठ गुरु मेलसी, गुरु रूठे नहीं ठोर, गुरु के बिना ईश्वर को मिलना असंभव है। गुरु के सुप्रयास से और शिष्य के लगन से हरि मिलते हंै। हरि के मिलने पर शिष्य भी ईश्वरीय गुणों की खान बन जाता है। कुछ शिष्य गुरचरणों में रहकर भी अज्ञानीबने रहते हैं। उनके भीतर के विकार दूर नहीं होते। इसका कारण वे गुरु को ईश्वर रूप नहीं समझते। कलियुग में प्रभु रामलाल, मुलखराज व प्रभु देवीदयाल पूर्ण गुरु थे, उनकी कृपा से अनंत लोगों ने ज्ञान हासिल किया। ऐसे पूर्ण गुरुओं को दास का अनन्त बार प्रणाम। इस पवित्र मौके पर केवल कृष्ण ठकराल, सुरेन्द्र नामधारी, विष्णु शर्मा, शक्ति चावला, पृथ्वी बैनीवाल, अरुण चौधरी, सुरजीत आदमपुर, यश चावला योगाचार्य, हनीश व दर्शन सिंह, राजपाल सिंह, रामस्वरूप मेहता, अनीश मेहता, विपिन सेठी, मनीष मेहता, राजीव मेहता, अमित नरुला, फूल रानी, मिनाक्षी, खेम मेहता मौजूद थे।