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असत्य पर सत्य की विजय, वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक है दशहरा: गोपाल कांडा

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सिरसा, 2 अक्तूबर।  पूर्व मंत्री  एवं हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष गोपाल कांडा और श्री बाबा तारा कुटिया के मुख्य सेवक व वरिष्ठ भाजपा नेता गोबिंद कांडा ने देशवासियों को दशहरा ( विजयदशमी ) की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह त्योहार भारतीय संस्कृति में वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक है।
व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव मनाया जाता है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।  उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने इसी दिन रावण का वध किया था।  इसलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। इस  दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, इस दिन शस्त्र-पूजा, वाहन पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।  उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है। दशहरे का उत्सव भी शक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है। इस दिन क्षत्रियों के यहां शस्त्र की पूजा होती है। उन्होंने सभी देश, प्रदेश एवं क्षेत्रवासियों को विजयादशमी पर्व की शुभकामनाएं दी।

पूर्व मंत्री गोपाल कांडा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को किया नमन
सिरसा, 2 अक्तूबर। पूर्व मंत्री एवं हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष गोपाल कांडा और श्री बाबा तारा कुटिया के मुख्य सेवक व वरिष्ठ भाजपा नेता गोबिंद कांडा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की  जयंती पर उन्हें नमन किया। उन्होंने  कहा कि दोनों का जीवन और अनमोल विचार सदैव संपूर्ण समाज का मार्गदर्शन करते रहेंगे।  एक ने हमें अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का रास्ता दिखाया तो दूसरा सादगी का प्रतिमान बन गया। आज दोनों महान नेताओं को देश याद कर रहा है।
उन्होंने दोनों को  नमन करते हुए उनकी शिक्षाओं को याद किया। उन्होंने कहा कि दोनों के आदर्श सदैव ही एक समृद्ध और करुणामयी भारत को विश्व गुरु बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। आज के दिन देशवासी मिलकर संकल्प लें कि हम सत्य और अहिंसा के मार्ग का अनुसरण करते हुए, राष्ट्र के कल्याण और प्रगति के लिए सदैव समर्पित रहेंगे। सत्य, अहिंसा और प्रेम का उनका संदेश इस समाज और देश के लिए अमूल्य धरोहर है इसी राह पर चलते हुए समाज में समरसता और सौहार्द का संचार किया जा सकता हैै। शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान के नारे को लोकप्रिय बनाया, एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को मान्यता दी।  शास्त्री जी में साहस, संयम, आत्म-नियंत्रण, शिष्टाचार और निस्वार्थता जैसे गुणों का समावेश था। यह देश  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का सदा ऋणी रहेगा।

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