— गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने किया देशभक्ति का प्रदर्शन
132 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में हुए शामिल, नगर की प्रमुख गलियों से निकला भव्य पथ संचलन — मातृशक्ति, सामाजिक संगठनों व नागरिकों ने किया स्वागत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष — अर्थात् संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में रविवार सांय कालांवाली मंडी में भव्य पथ संचलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने अनुशासन, संगठन और राष्ट्रभावना का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महाजन धर्मशाला से हुआ और नगर की प्रमुख मार्गों से होते हुए पुनः धर्मशाला पर आकर सम्पन्न हुआ। पथ संचलन में लगभग 132 गणवेशधारी स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में शामिल हुए, जिन्होंने डंडा संचालन, गण और कदमताल के माध्यम से एकता व अनुशासन का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।
नागरिकों व मातृशक्ति ने किया स्वागत
पथ संचलन के दौरान नगरवासियों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। इस मौके पर विभिन्न सामाजिक संगठनों, मातृशक्ति, प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों और नगर के गणमान्य नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
कुल 216 गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित रहे, जिनमें 76 पुरुष और 140 महिलाएँ शामिल थीं। सभी ने इस आयोजन को संघ के अनुशासन और समर्पण की मिसाल बताया।
चार चांद लगाए कार्यक्रम की गरिमा में
पथ संचलन का आयोजन पूर्णतः अनुशासित व गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। स्वयंसेवकों की एकरूप गणवेश, कदमताल और राष्ट्रीय घोषों से पूरा नगर देशभक्ति के रंग में रंग गया। बाल स्वयंसेवकों से लेकर वरिष्ठ कार्यकर्ताओं तक सभी में अपार उत्साह देखने को मिला।
कार्यक्रम स्थल पर आए अतिथियों ने कहा कि संघ की शताब्दी वर्ष यात्रा केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह समाज को संगठन और सेवा की दिशा में प्रेरित करने का महायज्ञ है।
सेवा, संगठन और राष्ट्रभावना का संदेश
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर समाज में सेवा, संगठन और राष्ट्रभावना को जागृत करने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
इसी श्रृंखला में कालांवाली मंडी का यह पथ संचलन भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में एकता, समरसता और देशप्रेम का संदेश देना रहा।
संघ के कार्यकर्ताओं ने कहा कि “शताब्दी वर्ष में संघ का संकल्प है कि समाज के हर वर्ग में सेवा और संगठन की भावना को सशक्त किया जाए, ताकि भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर हो सके।”
नगर हुआ देशभक्ति के माहौल में सराबोर
पथ संचलन के दौरान ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘जय श्रीराम’ जैसे राष्ट्रनादों से नगर की गलियाँ गूंज उठीं। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस दृश्य को देखकर उत्साहित नजर आए। कई स्थानों पर स्वयंसेवकों को तिलक व पुष्पहार से सम्मानित किया गया।
संघ की शताब्दी यात्रा — समाजिक समर्पण का प्रतीक
संघ के स्थानीय पदाधिकारियों ने बताया कि आगामी महीनों में भी विभिन्न सेवा, संस्कार व राष्ट्र निर्माण संबंधी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि संघ का यह शताब्दी वर्ष केवल उत्सव नहीं, बल्कि समर्पण और संकल्प का वर्ष है, जिसमें हर स्वयंसेवक समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करेग



