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कालांवाली में रविवार की दोहरी बरसात से मौसम ठंडा, ठंडी हवाओं ने दी सर्दी की दस्तक

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 — मंडी में किसानों व आढ़तियों को अलर्ट, धान फसल को सहेजने की अपील

सुबह और रात की बारिश से बढ़ी नमी, मंडी में भिगी फसलों से नुकसान का खतरा, मार्केट कमेटी ने जारी की एडवाइजरी — कहा, “धान को खुली जगह पर न छोड़ें, खराब होने का डर”; किसानों में चिंता, मौसम विभाग ने दी चेतावनी कि सर्दी इस बार पड़ेगी ज्यादा।

दोहरी बरसात से मौसम का मिजाज बदला

कालांवाली में रविवार को अल सुबह और फिर देर रात को हुई झमाझम बरसात ने पूरे इलाके का मौसम बदल दिया। सुबह के समय आई हल्की से मध्यम बारिश के बाद दोपहर में कुछ देर के लिए मौसम खुला जरूर, लेकिन शाम होते-होते काले बादलों ने फिर आसमान को ढक लिया और रात में फिर से झमाझम बरसात हुई। दोनों वक्त हुई इस बारिश ने हवा में ठंडक घोल दी है। सोमवार की सुबह कालांवाली कस्बे में लोगों ने स्वेटर और हल्के गर्म कपड़े पहनने शुरू कर दिए।

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह अक्टूबर की शुरुआती ठंडक पिछले वर्षों की तुलना में कुछ जल्दी आई है। किसानों ने कहा कि “सर्दी की दस्तक तो पहले ही हो गई, इस बार लगता है ठंड कुछ ज्यादा पड़ेगी।”

ठंडी हवाओं ने दी सर्दी के मौसम की पहली झलक

बरसात के साथ चली उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली ठंडी हवाओं ने वातावरण में नमी और ठंडक दोनों बढ़ा दी। रविवार रात के बाद सोमवार की सुबह कालांवाली, चोरमार, जोधकां, खैरेकां, डबवाली रोड और आसपास के क्षेत्रों में हल्का कोहरा भी दिखाई दिया। सुबह-सुबह लोगों को अपने वाहनों की हेडलाइट जलाकर सफर करना पड़ा।

मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कालांवाली क्षेत्र में औसतन 18 मिमी बारिश दर्ज की गई है। न्यूनतम तापमान में लगभग 3 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई, जो सर्दी के आगमन का संकेत है।

 

🌾 खेतों में बढ़ी नमी, धान की फसल पर मंडराया खतरा

जहां इस बरसात से मौसम तो सुहावना हुआ है, वहीं किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस समय क्षेत्र में धान की कटाई और बिक्री का सीजन चल रहा है। कई किसान अपनी फसल को मंडी तक पहुंचा चुके हैं जबकि कई खेतों में कटाई जारी है।

बारिश और ठंडी हवाओं के कारण खेतों में नमी बढ़ गई है, जिससे धान की फसल के दाने में फफूंदी लगने और कटाई में देरी की संभावना बढ़ गई है। अगर आने वाले दिनों में धूप नहीं निकली तो खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुंच सकता है।

 

🌾 मंडी में भी गीली फसल से चिंता

कालांवाली अनाज मंडी में इस समय हजारों क्विंटल धान पहुंच चुकी है। रविवार रात की बरसात ने कई जगह रखी हुई धान की बोरियों को भी भिगो दिया। सुबह जब मंडी खुली तो कई आढ़ती और किसान अपनी-अपनी फसल को प्लास्टिक शीटों से ढकते या सुखाते नजर आए।

मार्केट कमेटी के अधिकारियों ने मंडी में पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और किसानों व आढ़तियों से अपील की कि फसल को खुले में न छोड़ें।

 

📣 मार्केट कमेटी का अलर्ट — “धान की करें देखभाल”

मार्केट कमेटी कालांवाली के सचिव ने बताया कि बारिश के कारण मंडी में रखी फसलों को नुकसान पहुंचने का खतरा है। उन्होंने कहा —

“किसान भाई ध्यान रखें कि धान की बोरी खुले में न छोड़ें। फसल को प्लास्टिक शीट या तिरपाल से अच्छी तरह ढकें। गीली फसल का तौल या बिक्री से बचें क्योंकि इससे क्वालिटी और रेट दोनों पर असर पड़ता है।”कमेटी की ओर से मंडी में मुनादी करवाई गई और किसानों को जागरूक किया गया कि अगले कुछ दिनों में मौसम अस्थिर रहेगा, इसलिए सावधानी बरतें।

 

 किसान बोले — “धान मंडी में पहुंचा, अब चिंता हो रही है”

स्थानीय किसान रामकरण, महेंद्र सिंह और गुरमेल सिंह ने बताया कि वे रविवार दोपहर मंडी में अपनी फसल लेकर आए थे, लेकिन रात को हुई बरसात ने उनका सारा माल गीला कर दिया। किसानों ने कहा —हम तो मंडी में ही ठहर गए थे ताकि फसल को ढक सकें। बारिश ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब फसल सुखाने में दो दिन और लग जाएंगे।”कुछ किसानों ने बताया कि नमी बढ़ने से वजन भले थोड़ा बढ़ जाता है, लेकिन इससे दाने की गुणवत्ता खराब हो जाती है और रेट घट जाता है।

🌾 खेतों में कटाई रुकी, मजदूरों को भी दिक्कत

धान की कटाई पर बारिश का सीधा असर पड़ा है। खेतों में पानी भरने और मिट्टी गीली होने से हार्वेस्टर मशीनों को चलाना मुश्किल हो गया है। मजदूरों को भी फसल काटने में परेशानी आ रही है।
किसान जोगिंदर कौर ने कहा —

“बारिश के बाद खेतों में कीचड़ हो गया है, कटाई रुक गई है। अगर दो दिन धूप नहीं निकली तो दाना काला पड़ जाएगा।”

🌦️ मौसम विभाग का अनुमान — सर्दी इस बार पड़ेगी अधिक

चंडीगढ़ मौसम केंद्र के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के असर से हरियाणा के कई इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश का दौर अगले 48 घंटे तक जारी रह सकता है। तापमान में और गिरावट आएगी और इस बार सर्दी पिछले सालों से अधिक पड़ने की संभावना है।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि एल-नीनो के प्रभाव से इस साल उत्तरी भारत में ठंडी हवाओं की सक्रियता बढ़ेगी।

 

🧊 बाजारों में गर्म कपड़ों की मांग बढ़ी

रविवार रात से आई ठंडक ने कालांवाली के बाजारों में भी रौनक बढ़ा दी। सोमवार को शहर के मुख्य बाजार में लोग गर्म कपड़े, ब्लैंकेट और रजाई खरीदते नजर आए। दुकानदारों के अनुसार, अचानक मौसम बदलने से गर्म कपड़ों की बिक्री में करीब 30% तक उछाल आया है।

 

🛤️ सड़क किनारे बनी कीचड़, आमजन को दिक्कत

लगातार दो दौर की बरसात से कालांवाली की गलियों और सड़कों पर कीचड़ जमा हो गया है। खासकर हुड्डा आर-2, वार्ड नंबर 3, बस स्टैंड रोड और मंडी के आसपास के इलाकों में लोगों को पैदल चलने में मुश्किल आ रही है। नगर पालिका ने नालियों की सफाई और पानी निकासी के लिए टीम भेजी है।

🌱 सरसों और कपास की फसल को भी मिला असर

जहां धान किसान परेशान हैं, वहीं कुछ फसलों के लिए यह बरसात फायदेमंद साबित हुई है। कपास और सरसों की फसलों में नमी से बढ़वार होने की संभावना है। हालांकि अधिक नमी से कपास में सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ने का खतरा भी बताया जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों से खेतों की नियमित निगरानी की सलाह दी है।

📜 कृषि विभाग की सलाह

कृषि विभाग कालांवाली के अधिकारी ने कहा कि जिन किसानों की धान मंडी या खेतों में है, वे तुरंत फसल को सुखाने की व्यवस्था करें।

> “फसल में नमी 17% से अधिक नहीं होनी चाहिए। ज्यादा नमी होने पर धान खराब हो सकता है। फसल को तिरपाल पर फैला कर धूप में सुखाएं और नमी कम होने के बाद ही बिक्री करें।”

 

💬 किसान संगठनों की चेतावनी

भारतीय किसान यूनियन (टकैत) के स्थानीय नेता ने कहा कि सरकार को मंडी में फसल की सुरक्षा के लिए टेंट, तिरपाल और सुखाने के प्रबंध करने चाहिए। उन्होंने कहा —

> “किसान पहले ही लागत निकालने के लिए संघर्ष कर रहा है, ऊपर से बारिश से फसल खराब होने का खतरा बढ़ गया है। सरकार को इस पर तुरंत कदम उठाने चाहिए।”

 

🏛️ प्रशासन भी अलर्ट

उपमंडल अधिकारी (SDM) कालांवाली ने रविवार देर शाम आपदा प्रबंधन टीम को अलर्ट पर रखा और मंडी में अधिकारियों को निरीक्षण के आदेश दिए। प्रशासन ने कहा कि अगर किसी किसान की फसल को नुकसान होता है, तो उसका सर्वे करवाकर मुआवजा दिलाया जाएगा।

🌤️ लोगों ने ली राहत की सांस, लेकिन चिंता भी बरकरार

जहां शहरवासी ठंडी हवाओं और बदले मौसम का आनंद ले रहे हैं, वहीं किसानों की नींद उड़ी हुई है। एक तरफ सर्दी की दस्तक ने राहत दी, तो दूसरी ओर बारिश ने धान के सीजन पर संकट खड़ा कर दिया है।

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