सिरसा। हरियाणा सहकारी विपणन समितियां कर्मचारी यूनियन के आह्वान पर कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर हैफेड जिला कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया व जिला प्रबंधक हैफेड के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। पत्र की कॉपी प्रधान सचिव मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार, अतिरिक्त मुख्य सचिव, सहकारिता विभाग हरियाणा सरकार, रजिस्ट्रार सहकारी समितियां हरियाणा, पंचकुला, निर्देशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा सरकार। प्रबंध निदेशक हैफेड पंचकुला, प्रदेश महामंत्री सहकार भारती हरियाणा, केंद्र भिवानी को भी प्रेषित की गई है। ज्ञापन देने वालों में अशोक वर्मा पूर्व चेयरमैन, जगदीश सिंवर निर्देशक, सूरजा राम निर्देशक विपणन समितियां व जिला की समितियां के कर्मचारी शामिल थे। उन्होंने बताया कि हैफेड के अंतर्गत प्रदेश में मंडी स्तर पर 69 सहकारी विपणन समितियां कार्यरत है, जो सरकारी फसल खरीद कार्य को मंडी स्तर पर पूर्ण करवाने में विशेष भूमिका निभाती है। भारत सरकार की नई सहकार नीति, जिसमें मंडियों में बिचौलिए की भूमिका को समाप्त करने में भी इनका बड़ा योगदान हो सकता है, उदाहरण के लिए नैफेड द्वारा सरसों खरीदी जाती हैं, उस समय समितियां यह कार्य सीधे तौर पर करती है, यानी सरकार को बिचौलियों को कमीशन नहीं देना पड़ता। इसके अतिरिक्त यह समितियां किसानों को खाद, बीज, दवाइयां, पशु आहार तथा उपभोक्ता वस्तुयों के वितरण का कार्य भी करती है। समितियों द्वारा एमडीएम स्कीम के अंतर्गत स्कूलों में तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर गेहूं तथा चावल की पहुंच की जाती है। इसके लिए समितियों को एमडीएम स्कीम में 150 रुपये प्रति क्विंटल तथा आंगनबाडी केन्द्रों पर इस काम के लिए मात्र 70-75 रुपए प्रति क्विंटल दिए जाते हैं, जबकि डब्ल्यूसीडी विभाग इस प्रकार के कार्यों के लिए प्राइवेट ठेकेदारों को 190 से 212 रुपए प्रति क्विंटल की अदायगी कर रहा है। इसलिए समितियों का ट्रांसपोर्टेशन चार्जेस कम से कम 150 रुपए प्रति क्विंटल अथवा प्राइवेट ठेकेदारों के समान किया जाए। खाद की सप्लाई तथा कमीशन में बढ़ोतरी हैफेड को फर्टिलाइजर निर्माता कंपनियां 25 रुपए प्रति बैग मार्जन देती है, किंतु हैफेड द्वारा समितियों को मात्र 10 रूपए प्रति बैग का मार्जिन दिया जाता है, जबकि लोडिंग-अनलोडिंग, गोदाम की व्यवस्था तथा विक्रेताओं के वेतन का खर्चा समितियां वहन करती है। इसलिए समितियों का मार्जिन कम से कम 20 प्रति बैग किया जाए तथा फर्टिलाइजर निर्माता कंपनियां सहकारी संस्थाओं को 40 प्रतिशत उर्वरक की सप्लाई देती है उसे बढ़ाकर 60 प्रतिशत किया जाए। हर वर्ष सरकार द्वारा गेहूं बीज घोषित सब्सिडी राशि का भुगतान समितियों द्वारा किया जाता है, उपरांत कृषि विभाग लगभग 1 वर्ष बाद सब्सिडी राशि समितियों को जारी करता है इसे 31 दिसंबर तक जारी करने की नीति बनाई जाए। सरकार किसानों को जागरूक और प्रोत्साहित करें कि जो किसान सहकारी विपणन समितियों के माध्यम से अपनी फसल बेचेगा उसे समिति को मिलने वाले कमीशन में से एक प्रतिशत राशि बतौर प्रोत्साहन समिति की ओर से एमएसपी की राशि से अतिरिक्त मिलेगी। इससे सरकार के खजाने पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा, क्योंकि ऐसा प्रावधान समिति के उप-नियमों में पहले से ही मौजूद है। सरकार ने फसल खरीद-बिक्री का कार्य ऑनलाइन कर दिया है इसलिए समितियों के मौजूदा कर्मचारी सेवा-नियमों में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद का भी सृजन किया जावेए स्टाफ की कमी है, इसलिए वर्षों से डीसी रेट पर समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए। अत: यूनियन आपसे सादर अनुरोध करती है कि समितियों के आर्थिक हितों तथा इसमें वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों के कल्याण हेतु उपरोक्त मांगों का यथा-शीघ्र समाधान करने की अनुकंपा करें।