-भारी बरसात, जल भराव, सेम व बाढ़ से खराब हुई फसलों में से बची-खुची फसलें भी ओलावृष्टि, तूफान व बरसात से हुई बर्बाद: लखविंदर सिंह औलख
-क्षतिपूर्ति पोर्टल व प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों की खराब हुई फसलों की संपूर्ण भरपाई की जाए: औलख
सिरसा। पिछले कई सालों से घटिया क्वालिटी के बीज, पेस्टीसाइड, फर्टिलाइजर व बायोफर्टिलाइजर के कारण नरमा, कपास, धान, ग्वार, बाजरा, मूंगफली इत्यादि की फसलों पर बीमारी का काफी अटैक देखने को मिला, जिसे देखते हुए इस वर्ष कई किसानों ने नरमें और कपास की बिजाई काम करके अन्य फसलों की और रुख किया था। पिछले 4-5 सालों के मुकाबले इस वर्ष नरमें और कपास की बिजाई कम हुई थी। इस साल फसलों में बीमारी व कीटों का भी प्रभाव भी कम था, लेकिन पिछले महीनों भारी बरसात, जलभराव, सेम व बाढ़ ने उन किसानों के अरमानों पर फिर से पानी फेर दिया, जो खेत बाढ़ की चपेट से बच गए थे उसे अब बेमौसमी बरसात, आंधी तूफान व ओलावृष्टि ने बर्बाद कर दिया है। चोपटा क्षेत्र के गांव जमाल के किसानों के आह्वान पर भारतीय किसान एकता बीकेई अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख अपने साथियों सहित फसलों का निरीक्षण करने पहुंचे तो देखा कि नरमे, कपास सहित ग्वार, बाजरा, मूंगफली व धान सभी प्रकार की फसलें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई है। बरसात, तूफान व ओलावृष्टि से नरमा व कपास की फसल धरती पर बिछ गई है, वह दोबारा से उगने लगी है, उसे इक_ा करना नामुमकिन है। औलख ने कहा कि सरकार ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर खराब हुई फसलों का पंजीकरण करवाने को कहा है। क्षतिपूर्ति का मतलब नुकसान की भरपाई है, लेकिन किसानों के 50 से 60 हजार रुपए प्रति एकड़ नुकसान की एवज में मात्र 15 हजार प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जायेगा उसमें भी मात्र 5 एकड़ तक की लिमिट लगा दी गई है। जो किसानों के साथ एक भद्दा मजाक है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि बिना किसी लिमिट के किसानों के नुकसान के संपूर्ण भरपाई की जाए। ताकि किसानों को अगली फसल की बिजाई के लिए कर्ज में डूबे हुए किसानों को और कर्ज न उठना पड़े। बीकेई मीडिया प्रभारी गुरलाल सिंह भंगू ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बिमित किसानों को जिनकी फसलें खराब हुई हैं उन्हें क्रॉप कटिंग के चक्कर में ना उलझाकर उनकी खराब हुई फसलों के नुकसान की पूरी भरपाई करवाई जाए। इस मौके पर मुंशी राम कसवांए विनोद कुमारए रोहताश कुमार, राकेश कुमार, राय सिंह, राजेंद्र कुमार, सुनील कुमार, अशोक कुमार, धर्मपाल, राजेंद्र कुमार, प्रकाश कसवां, मांगेराम, देवीलाल खिचड़ आदि किसान मौजूद रहे।