सिरसा। संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक इंद्रजीत सिंह कोटबुढ़ा, सुखजीत सिंह हरदोझंडे, सुखजिंदर सिंह खोसा, लखविंदर सिंह औलख, गुरिंदर सिंह भंगू, सतनाम सिंह हरिके, बचित्र सिंह कोटला किसान नेताओं ने मां बोली पंजाबी के लोक गायक राजवीर सिंह जावंदा के अचानक हुए निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस नश्वर संसार को अलविदा कहने से पंजाबी मां बोली को अपूर्णीय क्षति हुई है। नेताओं ने कहा कि मातृभाषा पंजाबी का रत्न सरकारी लापरवाही के कारण इस नश्वर संसार से लुप्त हो गया है, क्योंकि एक ओर तो सरकार ने आवारा पशुओं की देखभाल के लिए लोगों से गौ-सेस और रोड टैक्स के रूप में सैकड़ों करोड़ रुपये लिए हैं और दूसरी ओर उन्हें सडक़ों पर खुला घूमने के लिए छोड़ दिया है, जिससे लोगों की मौतें हो रही हैं। बाजारों में और सडक़ों पर आवारा पशुओं के झुंड नियमित रूप से देखे जा सकते हैं, जिनके कारण प्रतिदिन कई कीमती जानें जा रही हैं और इन्हीं आवारा पशुओं के कारण राजवीर सिंह जावंदा की जान चली गई, जो अपनी जान बचाने के लिए सरकार को भारी मात्रा में टैक्स भी दे रहे थे। इसलिए जहां भी आवारा पशुओं के कारण कोई कीमती जान जाती है, उसके लिए सरकार जिम्मेदार है और उस सरकारी हत्या के लिए संबंधित थाने के एसएचओ, एसडीएम, एसएसपी, डीसी और सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। क्योंकि आम लोग आवारा गायों और नंदियों से अपनी जान बचाने के लिए पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों की सरकारों को गौ सेस के रूप में प्रतिदिन टैक्स देते हैं, लेकिन सरकार जनता के हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी उन आवारा पशुओं की सुध नहीं ले रही है, जिसके कारण सडक़ पर चलते राहगीरों को हमेशा मौत का डर बना रहता है और जिसके कारण अनगिनत घटनाएं और सरकारी हत्याएं हो रही हैं। भाजपा सरकार द्वारा किसानों की हत्या करने वाले तीन काले कानूनों के खिलाफ -2020 के किसान आंदोलन में जहां देशभर के किसान लामबंद होकर लड़े, वहीं पंजाबी और हरियाणवी कलाकारों ने भी उस आंदोलन में गीतों के माध्यम से किसानों और युवाओं के दिलों में जोश भरा, राजवीर जावंदे ने भी टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर जाकर गीतों के माध्यम से सरकार को चुनौती देकर अह्म भूमिका निभाई। इसीलिए राजवीर जावंदे के निधन की खबर सुनकर पंजाबियों के नाम पर देशभर के किसानों में शोक की लहर है।