ठेकेदार को 34 लाख में मिला टेंडर, घटिया ईंटों का हो रहा इस्तेमाल; अधिकारी जवाबदेही से भागते नजर आए जेई को नहीं जानकारी कितनी बार सैंपलिंग हुई, कौन सी लैब, रिपोर्ट भी नहीं मालूम
चौपटा (शिवशंकर सहारण) सिरसा स्थित वीटा मिल्क प्लांट की चारदीवारी निर्माण में भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की खबर सामने आई है। प्लांट के चारदीवारी निर्माण का कार्य 34 लाख रुपए में ठेकेदार जगजीत कुमार कांट्रेक्ट को माइंस टेंडर के जरिए सौंपा गया, जबकि इसका अनुमानित टेंडर मूल्य 38 लाख रुपए निर्धारित था। हालांकि, निर्माण कार्य का लगभग 30-35 प्रतिशत हिस्सा पूरा हो चुका है, लेकिन मौके पर घटिया गुणवत्ता की ईंटों और निर्माण सामग्री का उपयोग साफ देखा जा सकता है घटिया ईंटों का इस्तेमाल, सैंपलिंग की कोई जानकारी नहीं जब निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए गए, तो जेई (जूनियर इंजीनियर) से जब पूछा गया कि अब तक कितनी बार सैंपलिंग की गई है, और कौन सी लैब में सैंपल भेजे गए, तो वे इस बारे में पूरी तरह अनजान नजर आए। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी जानकारी नहीं थी कि निर्माण में प्रयुक्त ईंटों की विभाग द्वारा कितनी संख्या में सैंपलिंग की जानी चाहिए अधिकारियों ने झाड़ा पल्ल इस विषय में जब विभागीय अधिकारी जेई अमित कुकना से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा सैंपल विभाग के जेई द्वारा लिए गए हैं, लेकिन मुझे नहीं पत किसने सैंपल भेजे, किस लैब में गए, और रिपोर्ट आई या नहीं, इसकी भी मुझे जानकारी नहीं है मैंने अभी-अभी चार्ज संभाला है, निर्माण सिविल विंग का काम है, मैं इस बारे में ज्यादा नहीं कह सकता। कार्य पूरा होने के बाद निरिक्षण करूंगा :विशंभर सीईओ, बीटा मिल्क प्लांट सिरसा विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत का आरोप स्थानीय सूत्रों और कुछ कर्मियों का आरोप है कि यह सारा मामला विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत का नतीजा है, जिसमें सस्ती और घटिया निर्माण सामग्री के ज़रिए सरकारी पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा है। जनता की मांग, हो उच्चस्तरीय जांच स्थानीय नागरिकों, समाजसेवियों विनोद कुमार, सुभाष, पवन कुमार, हरीष कुमार ने इस निर्माण कार्य की स्वतंत्र तकनीकी जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि अभी समय रहते कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में यह चारदीवारी जल्द ही टूट-फूट का शिकार हो जाएगी, जिससे सरकारी पैसे की बर्बादी होगी और जनहित को नुकसान पहुंचेगा। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या संबंधित विभाग और सरकार इस मामले में कोई संज्ञान लेते हैं या यह घोटाला भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में ही दब कर रह जाएगा।