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डेरा जगमालवाली:संगत गुमराह ना हो

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संगत गुमराह ना हो भाग-2 नामक यह छोटी सी पुस्तक 6 जीवों के लिए लिखी गई है जो सत्संगी पूज्य वकील साहब जा के चोला छोड़ने के बाद तरह-तरह की अफवाहें सुनकर रास्ता भटक गए हैं और भर्मित हो गए हैं। इस पुस्तक में उनके मन में उठे सारे सवालों के जवाब देने की कोशिश की गई है।

पूज्य मैनेजर साहिब जी के चोला छोड़ने के बाद भी डेरा जगमालवाली में कुछ लोगों ने संगत को गुमराह करने व डेरे का माहौल खराब करने की कोशिश की थी।

उस समय भी पूज्य वकील साहिब जी ने भटकी हुई संगत का सही मार्ग दर्शन करने के लिए “संगत गुमराह ना हो” नामक पुस्तक छपवाई थी।

पूज्य परम संत मैनेजर साहिब जी ने 2.12.1995 के सत्संग में स्पष्ट रूप से फरमाया कि देख लो ! हर फकीर के मौके पर ऐसा हुआ है, साथ रहने वालों ने कद्र नहीं की। एक दुसरे की मानेंगे, फकीरों की कोई नही मानता। याद रखो !

याद रखो ! ऐसा होता है, यहाँ भी होगा, ऐसे ही। देख लो ! अभी हैं, हो रहे हैं कई। याद रखो की किसी का कहा ना मानो, सिमरन करो अपना, यह है।

16-09-1991 का पूज्य मैनेजर साहिब जी का खास वचन, जो पूज्य वकील साहिब जी ने अपनी डायरी में लिखा हुआ था।

( फकीरा नाल इन्दी भाई ते साडे बाल तो हाले कुछ 131 71 )

पूज्य मैनेजर साहिब जी ने इस वचन में फरमाया है कि यह तो फकीरों के साथ होती आई है, हमारे साथ तो अभी कुछ भी नहीं हुआ, आगे बहुत कुछ होगा, आगे बहुत कुछ होगा ।

संतों को भविष्य के बारे में पहले से ही सब पता होता है।

पूज्य बाबा जी ने 2015 में अपने हाथ से लिखी हुई डायरी में साफ लिखा है कि

“कोई dispute खड़ा करेगा वह उसके ही खिलाफ होगा तथा बीरेन्द्र के हक में होगा।”

इसके अलावा पूज्य बाबा जी ने 2021 की डायरी में भी साफ लिखा है कि

“कोई झगड़ा करेगा वह बीरेन्द्र s/o मियां सिंह के हक में जाएगा”

वचन पूज्य मैनेजर साहिब जी (सत्संगी का सहारा पेज न० 4)

सन्तों के चोला छोड़ जाने के बाद उनके सत्संगीयों को कई प्रकार की कठिनाईयों तथा उलझनों का सामना करना पड़ता है और बहुत से सत्संगी गुमराह हो जाते हैं। सन्तों के चोला छोड़ जाने के बाद कई-कई गद्दियाँ बन जाती हैं, कोई किसी ओर खींचता है तो कोई किसी ओर। सत्संगीयों को ठीक रहनुमाई ना मिलने के कारण कई लोग पुराने रीति-रिवाजों और कर्म काण्डों में दोबारा फंस जाते हैं। कई सत्संगी फिर दीक्षा (नामदान) लेने के लिए भागदौड़ में लग जाते हैं।

उम्मीद है कि यह पुस्तक भटके हुए सत्संगीयों का सही मार्ग दर्शन करने में सहायता करेगी।

गुरप्रेम सिंह

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